धनिया (Dhaniya) का पौधा होता है। फल छोटे-छोटे अंडाकार गुच्छों में
छत्राकार लगते है। सूखने पर दो टुकड़े हो जाते है। इन्हीं बीजों को या फलों को
धनिया कहते है। यह मसालों में पड़ता है, स्वाद फीका सा और सुगंधित सा होता है। यह
फल अत्यंत सूक्ष्म गोलाकार लिये हुये लंबा प्रसिद्ध है।
धनिया (Dhaniya) अवृष्य (वीर्य नहीं बढ़ाता है), मूत्रजनक, हलका,
चरपरा तथा कडवे रसयुक्त, गरम,
अग्निदीपक, पाचक,
बुखार नाशक, रोचक,
ग्राही (जो पदार्थ अग्नि को प्रदीप्त करता है, कच्चे को पकाता है, गरम होने की वजह से गीले को सुखाता है; वह ‘ग्राही’ कहलाता है), त्रिदोष (कफ-पित्त-वात) नाशक एवं प्यास, जलन, उलटी,
श्वास, खांसी,
कृशता तथा कृमिरोग का नाश करनेवाला है।
कच्चे (हरे)
धनिया (Dhaniya) के गुण भी पके सूखे धनिया के समान ही है किन्तु
विशेषता यह है की वह मधुर रसयुक्त और विशेषतः पित्तनाशक है। हरे धनिया का अर्क
निकालकर नित्य प्रति सिर पर लगाने से गंजापन दूर हो जाता है। गर्मी के कारण नाक से
बहने वाला रक्त (नकसीर) में हरे धनिया का रस लेकर रोगी को सुंघाये तथा हरे पत्ते
बारीक पीसकर माथे पर लेप करें। लाभप्रद योग है। हरे धनिया का पानी (रस) थोड़ी-थोड़ी
देर के अंतर से 1-1 घूंट पीने से (यदि अन्य किसी प्रकार उल्टी बंद न होती हो) बंद
हो जाती है। हरे धनिया के रस में चीनी का मीठा पानी मिलाकर पीने से अनिद्रा रोग
दूर होकर भरपूर नींद आती है तथा सिरदर्द दूर होता है।
हारा धनिया (Dhaniya) भोजन को स्वादिष्ट,
सुगंधित और ह्रदय को हितकारी प्रिय बनाता है। यही सूखा प्यास और जलन नाशक है।
धनिया खांसी, उल्टी,
बुखारनाशक, आँखों के लिये लाभदायक, मधुर और दीपन, पाचन है।
मुसलमान लेखक
धनिया (Dhaniya) को शामक, ह्रदय को हितकारी और वातघ्न गिनते है।
धनिया के क्वाथ से आँख धोने से आँख की दृष्टि मंद नहीं हो पाती है। बहुत दिन की
दुखी हुई आँख जो अच्छी नहीं हो उनके लिये धनिया का क्वाथ उपयोगी है। धनिया मदिरा
की मादकता और गंध को नष्ट करता है। जौ के चून के साथ धनिया की पुलटिस सूजन पर
बांधी जाती है। धनिया का हिम (औषधियों के चूर्ण को रात्री को 6 गुने जल में भिगो
देवें। सुबह मसलकर छान लेने से शीत कषाय – हिम तैयार होजाता है) कषाय मूत्रल, जलन नाशक और ठंडा है। अंतड़ियों की गर्मी को दूर करने
का गुण भी इसमें है।
यूनानी मत से
धनिया (Dhaniya) दूसरे दर्जे में शीतल और रुक्ष है। वीर्य को कम
करनेवाला शीतलता उत्पादक है। प्रसन्नता उत्पादक,
मस्तिष्क और ह्रदय को बलदायक, मस्तिष्क की उष्णता को रोकनेवाला, मस्तिष्कविकार एवं उन्मादनाशक, आमाशय (Stomach) को बलदायक,
ग्राही (दस्तों को रोकनेवाला), शुक्रमेह नाशक, निद्राजनक, कंठशूल (गले में दर्द) और मुख की सूजन
नाशक है।
धनिया के हरे
पत्ते में शीतलता विशेषरूप से रहती है, जो सूखने पर बिलकुल कम हो जाती है। इसके
बीज दिमाग की और जानेवाले गर्मी के परमाणुओं को रोकनेवाले है। धनियाँ आमाशय में
अधिक समय तक ठहरता है, इससे भोजन भी वहाँ बहुत देर तक ठहरता है, जिससे पाचन होता है। जिन लोगों के आमाशय में भोजन कम
ठहरता हो। जिससे पाचन न होता हो अपचा आहार निकल जाता हो धनिया का सेवन बहुत उपयोगी
है।
सूचना: हरे धनिया (Dhaniya) को 15 ग्राम से अधिक नहीं खाना चाहिये। सूखे धनिया की
मात्रा 9 ग्राम है। धनिया वीर्य को कम करता है। इसके अधिक सेवन से काम शक्ति कम
होती है। स्त्रियों का मासिकधर्म रुक जाता है तथा दमे के रोगियों को हानि पहुंचाता
है। सूखे धनिये की अपेक्षा हारा धनिया शीतल प्रकृति का होता है। जिन व्यक्तियों की
मर्दाना शक्ति (काम शक्ति) कम है उन्हें धनिया का सेवन नहीं करना चाहिये। यदि फिर
भी इसका अधिक सेवन हो गया हो तो शहद का अधिक प्रयोग कर पुनः लाभ प्राप्त कर सकते
है।
कुछ योग जिसमें धनिया
पड़ता है: मदनानंद मोदक, कामेश्वर मोदक, बिल्वादि चूर्ण, लिवोमीन सिरप, नारायण चूर्ण, शूलवज्रीणि वटी, चंद्रप्रभा वटी इत्यादि।
धनिया के कुछ
प्रयोग: धनिया के फायदे
/ Dhaniya Ke Fayde
Y हरा धनिया अकेले या आंवले के साथ पीसकर खाने से आँखों
की कमजोरी दूर होकर दृष्टि (ज्योति) बढ़ जाती है। हरे धनिया का रस सप्ताह में 2-3
बार आँखों में डालना भी इस हेतु गुणकारी है।
Y सूखा धनिया 40 ग्राम को 240 ग्राम पानी में रात्री भर
भिगोकर रखने के बाद प्रातःकाल छानकर पिलाने से मूत्रमार्ग, गुदामार्ग अथवा नाक के रास्ते आने (गिरने) वाले रक्त
स्त्राव में खाली पेट पीने से लाभ मिलता है।
Y सूखा धनिया 50 ग्राम,
काली मिर्च 20 ग्राम, नमक 20 ग्राम सभी को बारीक पीसकर चूर्ण
बनाकर सुरक्षित रखलें। जिस व्यक्ति के आमाशय में आहार बहुत कम ठहरता है अर्थात बहुत
ही शीघ्र मल के रास्ते निकल जाता हो अर्थात अपचन का रोग हो तो इस चूर्ण को 3 ग्राम
की मात्रा में भोजन के बाद सेवन करें।
Y यदि मूत्र जलन के साथ आता हो तो सूखा धनिया 6 ग्राम
पानी में घोट-छानकर मिश्री और बकरी का दूध मिलाकर खूब पेटभर कर दिन में 2-3 बार
सेवन करने से मात्र 2-3 दिन में ही आराम हो जाता है।
Y यदि बवासीर का रक्त काले रंग का हो तो उसे बंद करने
की कदापि कोशिश न करें। रक्त यदि सुर्ख रंग का निकल रहा हो तो इसे बंद करना चाहिये
अन्यथा बवासीर का रोगी अत्यंत कमजोर होता चला जाएगा और कमर में दर्द भी होगा। इस हेतु
धनिया का चूर्ण 6 ग्राम 125 ग्राम पानी में घोट छानकर 30 ग्राम मिश्री और 250
ग्राम बकरी का दूध बार-बार औटाकर (नीचे ऊपर करके) रोगी को पिलायें। इस योग के सेवन
से बवासीर का रक्त बंद हो जाता है तथा इसी योग से मूत्र जलकर आने की शिकायत भी दूर
हो जाती है।
Y यदि किसी भी कारण से खुश्की (प्यास की तीव्रता) हो गई
हो तो खुश्क धनिया 20 ग्राम कूटकर मिट्टी के कोरे प्याले में डालकर रात भर भिगोने
के बाद प्रातःकाल मलमल के कपड़े से छानकर मिश्री मिलाकर रोगी को बार-बार थोड़ी-थोड़ी
मात्रा में पिलाने से लाभ हो जाता है।
Y यदि किसी ने भूलवश जमालगोटा खा लिया हो अथवा जमालगोटा
की गोलियां खाने से दस्त आने लगे हो तो सूखा धनिया को कूट छानकर चूर्ण बनाकर 6
ग्राम मात्रा में लेकर 125 ग्राम दही में मिलाकर 2-3 बार सेवन कराने से दस्त बंद
हो जाते है तथा इससे उत्पन्न कमजोरी भी दूर हो जाती है।
Y सूखा धनिया (Dhaniya) तथा कुंजा मिश्री या शक्कर समभाग लेकर
दोनों को अलग-अलग कूट लें। तदुपरांत मिलाकर रखलें। यह योग मूत्राशय की जलन, दृष्टिक्षीणता (नजर की कमजोरी), गर्मी से उत्पन्न सिरदर्द, चक्कर, अनिद्रा,
गर्मी से उत्पन्न बुखार, प्रमेह तथा स्वप्नदोष में अत्यंत गुणकारी
है। इस से हाजमा भी तेज हो जाता है और कामेच्छा में भी कमी आ जाती है। इसे
प्रातःकाल निराहार मुंह रात्रि के बासी जल से 8 ग्राम की मात्रा में सेवन करें तथा
इसके 1 घंटे बाद तक कुछ न खायें। इसी प्रकार 8 ग्राम शाम को (4 बजे के आस-पास)
प्रातःकाल रखे हुये जल से सेवन करें। रात्रि भोजन इसके 2 घंटे बाद करें।
Y 250 ग्राम सूखा धनिया (Dhaniya)
कूटकर आधा किलो पानी में उबालें। जब आधा पानी शेष रहे तब उतार छानकर 125 ग्राम
मिश्री मिलाकर पुनः उबालें, जब पककर गाढ़ा हो जाए तब उतार लें। यह
मधुर और स्वादिष्ट औषधि 8 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन चाटने से मिर्गी और दिमागी
कमजोरी के कारण अकस्मात आँखों के सामने अंधेरा छा जाने में अत्यंत लाभप्रद है।
Y धनिया (सूखा हुआ) बारीक पीसकर मट्ठा या जल के साथ 8-8
ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से दस्त बंद हो जाते है।
Y यदि
मासिक धर्म अधिक मात्रा में आता हो तो 8 ग्राम सूखा धनिया आधा किलो पानी में उबालें।
जब पानी आधा जल जाए तो उतारकर मिश्री मिलाकर गुनगुना पिलायें। इसकी 3-4 मात्राओं के
सेवन से ही लाभ हो जाता है।
Y हारा धनिया (Dhaniya)
और त्रिफला साथ-साथ पीसकर खाने से आँखों की कमजोरी दूर होकर ज्योति बढ़ जाती है।
और पढ़ें:
0 टिप्पणियाँ: