मदनानंद मोदक (Madnanand Modak) के सेवन से वीर्यवृद्धि होती है एवं रति
शक्ति बढ़ती है। इसके सेवन करनेवाले का रूप कामदेव के समान हो जाता है, स्वर कोयल के समान मधुर और गरुड के समान दिर्ध दृष्टि
हो जाती है। मदनानंद मोदक के सेवन से वृद्ध पुरुष भी युवक के समान हो जाता है। यह
वीर्यवर्धक रसायन है।
मदनानंद मोदक (Madnanand Modak) के सेवन से अपस्मार (Epilepsy), बुखार, उन्माद (Insanity),
क्षय (Tuberculosis), वातव्याधि,
खांसी, सूजन,
भगंदर, बवासीर,
अग्निमंद्य, अतिसार (Diarrhoea),
ग्रहणी, बहुमूत्र,
प्रमेह, शिरोरोग,
अरुचि तथा वातज, पित्तज,
कफज रोग नष्ट हो जाते है। इसके सेवन से जो स्त्री वंध्या, मृतवत्सा (जिसके बच्चे होकर मर जाते है) अथवा नष्ट
पुष्पा भी हो वह बहूपुत्रा तथा जीवितवत्सा होती है। यह औषध सूतिका रोगों को नष्ट
करती है और विविध रोगों की उत्कृष्ट औषधी है।
मात्रा: 2 से 4
गोली तक। रुद्राक्ष के बीज, तिल तथा घी (मिश्रित), अथवा खांडयुक्त गाय का दूध अथवा पायस (खीर) के साथ।
मदनानंद मोदक घटक
द्रव्य (Madnanand
Modak Ingredients): शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, लौह भस्म प्रत्येक 1-1 तोला, अभ्रक भस्म 3 तोले,
कपूर, सैंधा नमक,
जटामांसी, आंवला,
छोटी इलायची, सोंठ,
पिप्पली, कालीमिर्च,
जावित्री, जायफल,
तेजपात, लौंग,
जीरा, कालाजीरा,
मुलैठी, वच, कूठ,
हल्दी, देवदारु,
हिज्जल के बीज, सुहागा,
भारंगी, नागकेशर,
काकड़ासिंगी, तालीसपत्र,
द्राक्षा, चित्रकमूल,
दंतीमूल, बला,
अतिबला, दालचीनी,
धनिया, गजपिप्पली,
कचूर, सुगंधबाला,
मोथा, प्रसारिणी,
विदारीकंद, शतावर,
मदार की जड़, कौच के बीज, गोखरू, विधाराबीज और भांग बीज। प्रत्येक द्रव्य
का चूर्ण 1-1 तोला। सेमल की मूसली का चूर्ण, खांड,
गाय का दूध, कर्पूर,
त्रिकटु, विशुद्ध भांग का चूर्ण, धृत और मधु। भावना: शतावर का रस।
Ref: भैषज्य रत्नावली
Madnanand
Modak is aphrodisiac and nutritious. It cures epilepsy, fever, insanity,
tuberculosis, nerves disorder, duodenum problem, cough, swelling, piles,
indigestion, diseases of the head and anorexia.
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