सौंफ (Saunf) बहुत ही प्रसिद्ध औषधि है। विश्व के लगभग सभी देशों के
औषधिकोश में सौंफ को गौरवशाली स्थान प्राप्त है। कुच्छ लोग इसका शरबत बनाकर भी
पीते है। पान में भी डालकर इसको खाया जाता है। सौंफ खासकर सुगंधित औषधियों में से
एक है। सुगंधित औषधि पेट की गेस का नाश करती है,
कृमि को नष्ट करती है और विरेचक औषधि के साथ देने से उग्रता को कम कर पेट दर्द नहीं
होने देती। हर एक सुगंधी औषधि में यह तीन गुण कम-अधिक मात्रा में पाये जाते
है।
सौंफ (Saunf) पाचक, गरम,
ह्रदय के लिये हितकारक, मल की विबद्धता को दूर करनेवाली, कृमिनाशक, पेट की गेस को नष्ट करनेवाली, खांसी, उल्टी,
कफ तथा वायु को दूर करनेवाली है। सौंफ गर्भदायक,
सारक (हल्की दस्तावर), वीर्यजनक,
अग्निप्रदीपक, वातज्वर (वायुजन्य बुखार), शूल, जलन,
नेत्ररोग, प्यास,
व्रण (घाव) अतिसार (Diarrhoea) और आम (आम एक प्रकार का अपक्व अन्न रस है
जो विष के समान शरीर में रोग पैदा करता है) नाशक है।
सौंफ का अर्क –
शीतल, रुचिकारक,
अग्निदीपक, अन्नपाचक,
मधुर, उल्टी,
पित्त और जलन नाशक है। सौंफ और उसका तेल सुगंधित,
उत्तेजक और वातनाशक है। अन्य औषधियों को सुगंधित करने के लिये इसका उपयोग किया जाता
है। इसका अर्क बच्चों के पेट के विकार, अफरा और पेट दर्द में दिया जाता है। सौंफ
के पत्ते सुगंधित और जड़ रेचक होती है।
आयुर्वेदिक
औषधियों में सौंफ को मिलाने के कारण:
Y अग्निदीपक होने से अग्निदीपन करने के लिये
Y विरेचक औषधियों के साथ उग्रता को कम करने और पेट दर्द
को रोकने के लिये (स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण)
Y मल की विबद्धता को रोकने के लिये भी विरेचक औषधियों
के साथ इसका योग किया जाता है। मल हमेशा न तो अति ढीला और न अति कठिन होना चाहिये।
विरेचक औषधि मल को पतला कर देती है, लेकिन सौंफ को मिलाने से मल अति पतला
नहीं होने पाता और एक ही दस्त में सारा मल बाहर निकल जाता है।
Y कृमि, पेट दर्द और पेट की गॅस को नष्ट करने के
लिये। कोई भी सुगंधित औषधि में यह गुण होते है। जैसे दालचीनी, इलायची, सोंठ वगेरा।
Y वात, पित्त और जलन को नष्ट करने के लिये
सौंफ (Saunf) का उपयोग एक सुगंधित,
उत्तेजक और शांतिदायक पदार्थ की तरह होता है। यूरोप के अंदर इसके बीज उत्तेजक, शांतिदायक और अग्निवर्धक माने जाते है। पेट की वायु
को दूर करने के लिए यह एक विश्वसनीय औषधि मानी जाती है। यह आंतों में होनेवाली
मरोडी को शांत करती है। बच्चों के पेट दर्द को भी सौंफ दूर करती है और स्त्रियों
के मासिक धर्म को नियमित करती है।
सौंफ का अति सेवन
गरम प्रकृतिवालों के लिये हानिकारक है। उन्हें शिरदर्द उत्पन्न हो जाता है।
सौंफ का तेल अजीर्ण, पेट दर्द, अफरा,
अरुचि और उदरामय के पतले दस्तों के लिये प्रयोग में आता है। सौंफ का तेल प्रायः पश्चिमी
देश यूरोप, अमेरिका आदि से बिकने आता है, डाक्टरी औषधियों में भी इसका उपयोग बहुत काफी होता है।
सौंफ की मात्रा: 1 से 3 ग्राम तक। ज्यादा से ज्यादा 9
ग्राम तक है। गरम प्रकृतिवालों को हानिकारक है।
सौंफ के घरेलू
नुस्खे / सौंफ के फायदे
(Saunf Ke Fayde)
1) बुखार की जलन
को कम करने के लिये – सौंफ का हिम (औषधियों के चूर्ण को
रात्री को 6 गुने जल में भिगो देवें। सुबह मसलकर छान लेने से शीत कषाय – हिम तैयार
होजाता है। भिगोने के लिये पात्र चीनी मिट्टी या काँच का लेना चाहिये) बनाकर पिलाने से बुखार की जलन मिटती है।
2) बच्चों का
अजीर्ण – सौंफ की फांट (औषधियों के महीन चूर्ण को किसी पात्र
में गरम उबलते हुए 16 गुने जल में डालकर ढक्कन लगा दें। आध या एक घंटे बाद छान
लेने से फांट होजाता है) बनाकर पिलाने
से पेट का दर्द और बच्चों का अजीर्ण मिटता है।
3) बच्चों के पेट
दर्द में – सौंफ को बारीक पीसकर बच्चों के पेट पर लेप करने से पेट का दर्द दूर हो जाता
है।
4) मूत्रस्त्राव के
लिये – इसके पत्तों का स्वरस पीने से पेशाब बहुत आता है।
5) बच्चों को सौंफ
का क्वाथ पिलाना पेट के विकारों को दूर कर दस्त ठीक लाता है और पेट की गॅस को बाहर
निकाल देता है।
6) सौंफ का चूर्ण
6-6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से आमाशय (Stomach) शक्तिशाली हो जाता है तथा नेत्रों की ज्योति
बढ़ जाती है।
7) गर्भवती सौंफ का
अर्क यदि सेवन करती रहे तो उसका गर्भ स्थिर रहता है।
8) गर्भवती स्त्री
प्रतिदिन पान-सुपारी की भांति यदि सौंफ चबाती रहे तो उसकी जन्म लेने वाली संतान गोरी
(गौर वर्ण) की होती है।
9) 6 ग्राम सौंफ आधा
किलो पानी में उबालें, जब पानी 200 ग्राम तक शेष बचे तो इसे छानकर
10 ग्राम मिश्री, 250 ग्राम गाय का दूध मिलाकर सुबह-शाम नित्य
प्रति पीते रहने से तोतलापन दूर हो जाता है।
10) सौंफ को हल्की-हल्की
चोट करके कूटलें ताकि इसका छिलका उतर जाये। रात्री के समय 20 ग्राम (नाजुक प्रकृति
के लोग 10 ग्राम) साबुत ही दूध या पानी के साथ निरंतर सेवन करते रहें तो नेत्रों की
ज्योति तेज हो जाती है।
11) सौंफ चूर्ण 6
माशे (1 माशा=0.97 ग्राम) में 6 माशा खांड मिलाकर सेवन करने से कुछ समय में ही सिर
चकराना बंद हो जाता है।
12) 6 माशा सौंफ का
40 तोला पानी में क्वाथ करें। जब पानी 10 तोला शेष बचे तब उसमें 250 ग्राम गाय का दूध
और 1 तोला गाय का घी मिलाकर पीने से अनिद्रा रोग (नींद न आना) दूर हो जाता है।
13) सौंफ (Saunf) 6 माशा को यवकूटकर 1 पाव पानी में औटावे। चौथाई पानी शेष
रहने पर गाय का दूध 1 पाव, घी 1 तोला (1 तोला=11.66 ग्राम) और थोड़ी सी
खांड मिलाकर चाय की भांति सुबह-शाम पीने से दिमाग में ताकत आकार बहरापन नष्ट हो जाता
है।
14) सौंफ चूर्ण और खांड सममात्रा में मिलाकर सुरक्षित
रखलें। इसे 1-1 तोला की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से 40 दिन तक सेवन करने से
किसी भी कारण से बंद मासिकधर्म अवश्य ही खुल जाता है।
15) सौंफ चूर्ण 1
तोला, गुलकंद 5 तोला को गाय के दूध से 40 दिन तक
निरंतर सेवन करने से बांझपन दूर होकर स्त्री पुत्रवती हो जाती है।
16) सौंफ 2 तोला को
1 सेर पानी में औटावे। चौथाई पानी शेष रहने पर
इसमें सैंधा नमक और काला नमक 2-2 माशे मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से अफरा रोग दूर
हो जाता है।
17) सौंफ (Saunf) और मिश्री 6-6 माशा,
बादाम मगज 7 नंग बारीक पीसकर रात्री को सोते समय सेवन करने से दिमाग (मस्तिष्क) के
बल में वृद्धि हो जाती है।
18) सौंफ 9 माशा, सौंठ 3 माशा, मिश्री 1 तोला लें। सभी को बारीक पीसकर रख
लें। दिन में 3 बार गरम पानी से सेवन करने से प्रत्येक प्रकार की बदहज्मी शांत हो जाती
है।
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