शनिवार, 21 दिसंबर 2019

कुचीला की जानकारी


कुचीला के पेड़ होते है। इस पेड़ के फल, फूल, पत्र सब विषैले (Toxic) होते है। इस वृक्ष के फल को ही कुचीला कहते है। इसको शुद्ध करके ही औषध उपयोग में लिया जाता है। अशुद्ध कुचीला जुल्मी जहर है, इससे मनुष्य की मृत्यु तक हो जाती है। शुद्ध करने के बाद भी अधिक मात्रा में यह जहर (Toxin) है। इस औषधि का कभी भी स्वतंत्र प्रयोग न करें। यह आर्टिकल सिर्फ और सिर्फ जानकारी के लिये है।  

शुद्ध कुचीला दीपन, पाचन, कटुपौष्टिक, नियतकालिक ज्वर प्रतिबंधक, बल्य और वाजीकरण है। कुचीला सभी इंद्रियों की क्रिया को उत्तेजित करता है, परंतु इसकी सबसे ज्यादा क्रिया ज्ञानतन्तु पर होती है। श्वासोच्छ्वास केंद्र को उत्तेजित करता है जिससे श्वास लेने की शक्ति बढ़ जाती है जिससे अच्छी तरह से खाँस सकते है और कफ गिरता है। ह्रदय और रक्तवाहिनियों के केंद्र को उत्तेजित करता है, जिससे ह्रदय संकोच-विकास क्रिया नियमित बनती है और रक्तदबाव बढ़ता है। कुचीला से आमाशय (Stomach) की शक्ति बढ़ती है। इससे अंत्र (Intestinez) बलवान बनाते है खासकर बृहद अंत्र। सुप्रसिद्ध अग्नितुंडी वटी में कुचीला का योग किया गया है, यह वटी आंतों की गड़बड़ी को दूर कर पचन शक्ति बढ़ाती है। कुचीला वाली कोई भी औषधि की प्रमाण से अधिक मात्रा न लें। कुचीला एक जुल्मी जहर है, इस लिए इसका स्वतंत्र प्रयोग न करें। कुचीला का स्वतंत्र प्रयोग करना खतरनाक साबित हो सकता है। यह आर्टिकल सिर्फ और सिर्फ जानकारी के लिये है।

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