हब्बे जदवार
ओजवर्धक है। ह्रदय की धड़कन, मस्तिष्क की उष्णता (गरमी) और शारीरिक
निर्बलता को दूर करती है। शारीरिक निर्बलता, चक्कर आना,
ह्रदय की धड़कन बार-बार बढ़ जाना, मुखमण्डल निस्तेज हो जाना, स्फूर्ति का अभाव,
अग्निमांद्य आदि विकारों को दूर करके शरीर को सबल बनाती है।
वृक्क (Kidney) और मूत्राशय की शिथिलता के कारण मूत्रशुद्धि नहीं
होती और रक्त में विष
(Toxin) वृद्धि होती रहती है।
फिर ह्रदय की धड़कन और मस्तिष्क में उष्णता उत्पन्न होती है, तब यह औषधि विशेष उपकारक है।
विषम ज्वर (Malaria) आदि रोग या अधिक स्त्री समागम अथवा अपथ्य सेवन से जब
शुक्र में उष्णता और पतलापन आ जाता है। तब शीतल और गाढ़ा बनाने के लिये इस हब्बे
जदवार का उपयोग होता है। यदि मूत्र संस्थान में विकृति सुजाक (Gonorrhoea) के लीन विष (Toxin) से हुई हो तो अनुपान रूप से सारिवासव या
चंदनासव देना चाहिये।
तमाखू का
धूम्रपान अत्यधिक करते रहने से कितनेक व्यक्तियों को रक्त में विष उत्पन्न होकर
वृक्ककार्य में (मुत्रोत्पत्ति कार्य में) प्रतिबंध होता है। फिर मस्तिष्क में
उष्णता, चक्कर आना,
बेचैनी, अधिक प्रस्वेद (पसीना) आना, निद्रानाश और ह्रदय में शिथिलता आदि लक्षण उपस्थित
होते है। उसपर यह हब्बे जदवार चंदनादि अर्क के साथ सेवन करायी जाती है।
मात्रा: 1 से 2
गोली दिन में दो बार खमीरे गावजवां, चंदनादि अर्क या गाय के दूध के साथ
देवें।
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