शनिवार, 22 सितंबर 2018

स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण के फायदे / Benefits of Swadishta Virechan Churna


स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण कब्ज, आमवृद्धि (अपक्व अन्न रस जो शरीर में रोग पैदा करता है, जो एक प्रकार का विष है, उसे आम कहते है), शिरदर्द, बवासीर, रक्तविकार, खुजली आदि में कोष्ट (Stomach) शुद्धि के लिये उपयोगी है। सुबह एक या दो दश्त आते है। इस चूर्ण के सेवन से पेट में किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता और अंत्र की श्लैष्मिक कला (Mucous Membrane) में उग्रता भी नहीं आती। स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण में मुलहठी, सौंफ और मिश्री सम्मिलित रहने से श्लैष्मिक कला की स्निग्धता बनी रहती है।

अपचन और आमातिसार में स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण के साथ हरड़ और सौंठ का चूर्ण मिला लेने से विशेष लाभ पहुंचता है। दस्त में दुर्गंध, उलटी, पेट में दर्द और वायु रुकने पर यवक्षार 500 mg मिला देना चाहिये।

स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण बनाने का तरीका: शुद्ध गंधक, मुलहठी, सौंफ 5-5 तोले, सनाय 15 तोले और मिश्री 20 तोले लें। सबको मिला कूटकर कपड़छान चूर्ण करें।

शुद्ध गंधक: रसायन, उष्ण, अग्निदीपक, पाचक, आम का शोषक तथा बाहर निकालने वाला और कुष्ठ, विसर्प, कंडु, खुजली, विष और कृमिनाशक है।

मिश्री: शीतल, ह्रद्य (ह्रदय को बल देनेवाली), आंखों को हितकर, धातुवर्धक, वृष्य (पौष्टिक), बलकर, सारक (दस्तावर), उत्तेजक, पाचन, मूत्रल तथा रक्तपित्त, त्रिदोष तथा जलन का नाश करती है।

Ref: आयुर्वेद निबंधमाला 

मात्रा: 3 से 6 ग्राम रात्री को सोने के समय जल के साथ।


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