चिंतामणि
चतुर्मुख रस
(Chintamani Chaturmukh Ras)
के सेवन से वली (झुर्रियां), पलित (बालों का सफेद होना), 11 प्रकार के क्षय (Tuberculosis),
पांडु (Anaemia), प्रमेह,
खांसी, शूल (Colic),
मंदाग्नि, हिक्का,
अम्लपित्त (Acidity), व्रण,
आढ्यवात, विसर्प,
विद्रधि, अपस्मार (Epilepsy)
सब प्रकार के अर्श (बवासीर), चर्मरोग आदि नष्ट होते है।
चिंतामणि
चतुर्मुख रस पौष्टिक, ओजप्रद (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र – ये सात धातु है – इन सातों के सार
यानि तेज को “ओज” कहते है, उसे ही शास्त्र के
सिद्धान्त से “बल” कहते है। ओज प्राणो का उत्तम आहार है।),
आयुवर्धक और स्त्रियों के लिये संतानप्रद है। इस द्रव्य के सेवन से रक्तचाप की
वृद्धि (High Blood
Pressure), उन्माद (Insanity), अनिद्रा आदि रोगों में लाभ होता है।
मात्रा: 1-1 रत्ती।
त्रिफला और मधु मिलाकर।
(1 रत्ती = 121.5 mg)
चिंतामणि चतुर्मुख
रस घटक द्रव्य
(Chintamani Chaturmukh Ras Ingredients):
शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, लौह भस्म और अभ्रक भस्म प्रत्येक 4-4 भाग। स्वर्ण भस्म
1 भाग। भावना: धृतकुमारी का रस, त्रिफला का क्वाथ, तुलसी स्वरस और ब्राह्मी स्वरस।
Ref: रस चिंतामणि, भैषज्य रत्नावली,
रस राज सुंदर
Chintamani
Chaturmukh Ras is nutritious and delays old age. It cures tuberculosis,
anaemia, cough, colic, hiccup, acidity, wound, skin diseases and piles.
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