त्रिफला चूर्ण
प्रमेह
(spermatorrhoea), शोथ (swelling), कब्ज, विषमज्वर (malaria),
रक्तविकार (blood
disorder), वीर्यदोष, कफ, पित्त और कुष्ठरोग (skin diseases)मे अति उपयोगी है। इसके सेवनसे अग्नि
प्रदीप्त होती है और मलशुद्धि होती है। घी और शहदके साथ खानेसे आंखोके रोग दूर
होते है। पुराने रोगोमे कम मात्रामे लंबे समय तक सेवन करना चाहिये।
सूचना: याद रखे
घी और शहद कभी सम-मात्रामे न ले। सम-मात्रामे लेनेसे यह विष (toxin) बन जाता है। या घी शहदसे कम ले या शहद घीसे कम ले। (Do not take in equal proportion)
आंखोके रोगोमे घी
और शहदके साथ त्रिफला चूर्ण सेवन करते रहने से बढ़ता हुआ मोतिया बिन्दु आदि रोग रुक
जाते है।
इस त्रिफला
चूर्णमे अनेक अद्भुत गुण अवस्थित है। यह दीपन (अग्निको प्रदीप्त करने वाला), रुचिकर, चक्षुष्य (आंखोकी रोशनी बढ़ाने वाला), रसायन, आयुस्थापक,
वृष्य (पौष्टिक), सारक (कब्जको दूर करने वाला) और ह्रद्य
(ह्रदयको ताकत देने वाला) है। शास्त्रीय अनेक ग्रंथोमे इसका वर्णन मिलता है। चरक
संहितामे त्रिफलाको रसायन कहा है और लिखा है की “जो
मनुष्य त्रिफलाको धृत (घी) और शहदके साथ नित्य सेवन करता है; वह निरोग रह कर पूरी १०० वर्षकी आयु भोगता है।“
रसायन गुणके लिये
2-2 ग्राम त्रिफलाको पीपल, वंशलोचन और शहदसे देवे। संधिस्थानोमे
वेदना होनेसे निंद्रा न आती हो, तो त्रिफलाके क्वाथमे शहद मिलाकर पिलावे।
मेदोरोग (Obesity)मे शहदके साथ त्रिफला चूर्ण देवे।
त्रिफलाके पानीसे
आंखोको धोनेसे आंखोकी रोशनी बढ़ती है और आंखोके रोग नष्ट हो जाते है। एक बर्तनमे एक
चम्मच या थोड़ा ज्यादा त्रिफला चूर्ण डालकर उसमे पानी भरकर घोले। फिर इसे पूरी रात
रखदे। सुबह पानीको छान ले और इस पानीसे आंखोको धो ले। आंखोके अंदर पानी जाना
चाहिये। इसका कोई नुकसान नहीं है। हमने इसका अनुभव किया हुआ है और सफल पाया है।
कब्ज के लिये तो
यह उत्तम औषध है। रातको सोनेसे पहेले एक चम्मच (teaspoon)
त्रिफला चूर्ण ले। इससे सुबह अच्छी तरह मलशुद्धि होती है और इसका कोई नुकसान भी
नहीं है।
त्रिफला चूर्णमे आवला, बहेडा और हरड़ इन तीनों औषधोको मिलाया जाता है। यह तीनों
मिलकर रसायन गुण पैदा करते है।
मात्रा: 2 से 6
ग्राम दिनमे 1 या 2 बार देवे।
Triphala
churna is useful in eye diseases, constipation, blood disorder, cough and
indigestion. It is nutritious and it promotes health.
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