शुक्र वल्लभ रस
(Shukra Vallabh Ras) अत्यंत वाजीकरण, वीर्यस्तंभक और कामिनीमद मर्दक है। इस शुक्र वल्लभ रस का सेवन करने से ही “इंद्र” अप्सराओं के प्रेमपात्र बने ऐसी मान्यता है।
शुक्र वल्लभ रस
(Shukra Vallabh Ras) शोधक (शरीर को
शुद्ध करनेवाला), रक्तवर्धक,
वीर्यवर्धक, बल और वर्ण वर्धक तथा वीर्यस्तंभक है।
प्रत्येक व्यक्ति को यह समान लाभदायी है। भांग के अतिरिक्त, इसमें कोई ऐसा मादक पदार्थ नहीं है कि जिससे कोष्ठ
बद्धता (कब्ज) हो या अन्य विकार उत्पन्न होने की आशंका हो। यह रस शीतवीर्य (ठंडा)
है। अतः शरीर में किसी प्रकार के दाहक (जलन करने वाले) विकार उत्पन्न करे यह भी
संभवित नहीं है। ऐसी शीतवीर्य औषधियाँ वस्तुतः वाजीकरण ही नहीं परंतु रसायन भी
होती है।
शुक्रवल्लभ रस का
सेवन करते हुये किसी प्रकार की विकृति की संभावना कभी नहीं हो सकती। शारीरिक शक्ति
प्रदान करने के लिये यह एक उत्तम औषध है।
मात्रा: 1 से 3
गोली तक दूध के साथ। सुबह-शाम। (1 गोली =250 mg)
शुक्रवल्लभ रस
बनाने की विधि
(Shukra Vallabh Ras Ingredients):
शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, लोहभस्म, अभ्रकभस्म,
चाँदीभस्म, स्वर्णभस्म और स्वर्णमाक्षिक भस्म। प्रत्येक
5-5 माशे ले। वंशलोचन 1.25 तोला और भांग के बीजों का चूर्ण 5 तोला ले। प्रथम पारे
और गंधक की कज्जली बनावें और फिर उसमें अन्य भस्मों का मिश्रण करें। तदनंतर
वंशलोचन और भांग के बीजों का सूक्ष्म चूर्ण मिश्रित करें। मिश्रण को भांग के रस की
3-5 या 7 भावनायें देकर 2-2 रत्ती (1 रत्ती =121.5 mg)
की गोलियां बनावें। छायाशुष्क करने के बाद प्रयोगार्थ सुरक्षित रक्खें।
Ref: भैषज्य रत्नावली
Shukra
Vallabh Ras is aphrodisiac. It purifies the body, increases blood, increases
sperm count and strengthens the body.
Read
more:
0 टिप्पणियाँ: