गुरुवार, 17 मई 2018

प्रदरान्तक रस / नील, श्वेत, रक्त प्रदर / Benefits of Pradarantak Ras


प्रदरान्तक रस से सब प्रकारके नील, श्वेत (Leucorrhoea), रक्त और शुलसह प्रदर तथा सोमरोग(Frequent urination) दूर होते है, मासिकधर्म साफ आता है, अंतर्दाह शमन होता है तथा शरीर निरोग और तेजस्वी बनता है।

जिन स्त्रियोका शरीर निस्तेज पांडुवर्ण (पीला) हो गया हो, बार-बार चक्कर आना, सहन-शक्ति का अभाव, नेत्रके चारो और कालापन, ह्रदयकी अनियमित गति, थोडेसे परिश्रमसे ह्रदयके वेगकी वृद्धि होजाना, हाथ-पैर टूटना, मानसिक उदासिनता बनी रहना, दाह (जलन), अग्निमांद्य, जड पदार्थका योग्य पाचन न होना, उदर (पेट) मे भारीपन और प्रदरका स्त्राव गरम-गरम पतले जल समान होना आदि लक्षण हो, उनको  प्रदरान्तक रस अमृत समान लाभदायक है।

प्रदरान्तक रस की मात्रा: 2-2 गोली आंवलोके स्वरस और शहदके साथ देवे। (1 गोली = 1 रत्ती = 121.5 mg)

घटक द्रव्य: शुद्ध पारा, शुद्ध आँवलसार गंधक, रौप्य भस्म, वंग भस्म, कौड़ी भस्म, शंख भस्म, प्रवाल भस्म, सेलखड़ी की भस्म और राल सब समभाग और लोह भस्म सबके बराबर। भावना: दूब, अनार और आंवला स्वरस और घीकुंवार का स्वरस।

Pradarantak Ras is useful in Leucorrhoea (White discharge), menorrhea, frequent urination and keeps the body healthy and signing.

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