गुरुवार, 17 मई 2018

रजःप्रवर्तक चूर्ण / मासिकधर्म की अनिमयमितता के लिये / Rajah Pravartak Churna


इस चूर्णके सेवनसे मासिकधर्म(menstrual cycle)नियमित रूपसे आने लगता है और कष्ट नहीं होता। मासिकधर्म आनेपर चूर्ण देना बंद करे। इस रीतिसे 4-6 मास तक देते रहनेसे मासिकधर्म की रुकावट (Irregular menstrual cycle), शुल (वेदना), कमरमे दर्द, अरुचि, बेचैनी आदि दूषित रक्तकी विकृतिसे होनेवाली पीड़ा दूर होती है।

बीजाशय निकालमे अवरोध होनेसे जब रजःस्त्रावमे कष्ट होता है तथा पूरा स्त्राव नहीं होता। इसी हेतुसे मस्तिष्कमे भारीपन और वेदना, द्रष्टिमांद्य, शारीरिक निर्बलता (Physical Debility) और पांडुतादि लक्षण उपस्थित होते है। इस विकारपर इस चूर्णका प्रयोग किया जाता है।  

वक्तव्य: यह औषधि सामान्यतः 15 से 35 वर्षकी आयुवाली स्त्रियोको दि जाती है। 50 वर्षकी आयुमे प्रायः रजोधर्म बंद होता है। एसे समयपर उत्पन्न विकारोपर इसका उपयोग नहीं करना चाहिये।

मात्रा: 2 से 3 माशे (1 माशा = .97 ग्राम ), ब्राह्मी 1 तोला (1 तोला = 11.6638 ग्राम ) और काले तिल 5 तोलेके क्वाथके साथ दे। मासिकधर्म आनेके समयसे 10 दिन पहलेसे रोज सुबह देवे।

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