शनिवार, 9 नवंबर 2019

आंवला के फायदे / Amla Ke Fayde


आयुर्वेद के अंदर जितनी प्रभावशाली और रसायन औषधियों का उल्लेख हुआ है, उनमें हरड़ और आंवला (Amla), ये दो औषधियाँ सर्वोत्कृष्ट मानी गई है। इनमें हरीतकी (हरड़) उष्णवीर्य और आंवला शीतवीर्य है। इसलिये आंवला का महत्व और भी बढ़ जाता है।

रसायन औषधों में आंवला (Amla) सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि इसकी प्रकृति गरम नहीं है। रसायन औषधि के सेवन से दिर्धायु, स्मरणशक्ति, बुद्धि, तंदूरसती, नवयौवन, तेज, कांति, उदारता, शरीर इंद्रियों का बल, वाणी की सिद्धि और वीर्य की पुष्टता ये सब गुण रसायन के सेवन से प्राप्त होते है।

आमलकी रसायन चूर्ण – ताजे सूखे हुए आंवलों का कपड़छन चूर्ण लेकर उसमें ताजे हरे आंवलों के रस की भावना देकर सुखाना चाहिये। इस प्रकार उस चूर्ण को हरे आंवलों के रस में 21 बार तर करके सुखाकर रख लेना चाहिये। इस चूर्ण को 3 ग्राम से 6 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार गाय के दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट होता है, कांति बढ़ती है और पित्त की शांति होती है।

आंवला (Amla) के गुण प्रायः हरड़ के समान ही है किन्तु आंवला में हरड़ की अपेक्षा कुच्छ विशेष गुण भी है, यथा रक्तपित्त, प्रमेह को नष्ट करनेवाला, वीर्य को बढ़ानेवाला, रक्तशोधक और रसायन है। हरीतकी की प्रकृति गरम है जबकि आंवला की प्रकृति ठंडी है। आंवला अम्ल (खट्टा) होने से वायु को नष्ट करनेवाला है, मधुर तथा शीतल होने से पित्त को नष्ट करता है, रूखा और कसैला होने से कफ को नष्ट करता है। इस प्रकार आंवला तीनों दोषों को नष्ट करनेवाला है।

आंवला (Amalaki) अवस्थास्थापक (जवानी को स्थिर रखनेवाले) द्रव्यों में सर्वश्रेष्ठ है। यह रसायन होने से वृद्धावस्था को दूर करनेवाला है। आंवला के सेवन से जीवनशक्ति बढ़ती है। आंवला में सर्वाधिक मात्रा मे विटामिन सी पाई जाती है और इस फल की यह विशेषता है कि इसके सूखने पर भी विटामिन सी कम नहीं होती। आयुर्वेद के मतानुसार आंवला में लवण रस को छोडकर शेष पांचों रस विद्यमान रहते है।

आंवला नाड़ी को बल देता है, अग्नि को प्रदीप्त करता है, वायु की गति को नीचे की तरफ करता है और वायु का नाश करता है, यकृत (Liver) को उत्तेजना देता है जिससे पाचन सुधरता है, ह्रदय को बल देता है, जलन का नाश करता है और मूत्रल है। इसके सेवन से वात, पित्त और कफ तीनों दोषों से उत्पन्न विकारों का नाश होता है।

आंवला (Amalaki) से निर्मित च्यवनप्राश को सेवन करने वाले व्यक्ति की मेघा, स्मरणशक्ति, शरीर की कांति, आरोग्य, आयु वृद्धि, इंद्रियों में बल, मैथुन करने की शक्ति और जठराग्नि की वृद्धि होती है। शरीर का रंग सुधरता है और वायु का नाश होता है। आंवला प्रसिद्ध त्रिफला का एक अंश है।

बालों के लिये आमला तेल (Amla for hair) शिर पर लगाने से बाल मुलायम और काले हो जाते है।

आंवला के घरेलू नुस्खे: Amla Ke Fayde

1। आंवला के बीजों के चूर्ण का कल्क मिश्री और शहद के साथ चाटने से या आंवला का चूर्ण शहद के साथ चाटने से प्रदर रोग शांत होता है।

2। रक्तपित्त में – आंवला का रस शहद के साथ देना चाहिये।

3। हिचकी में – आंवला का रस पीपल और शहद के साथ पिलाना चाहिये।

4। मूत्रकृच्छ में – आंवला का रस 16 तोला (1 तोला=11.66 ग्राम) पीने से रुका हुआ पेशाब उतर आता है।

5। खांसी में आंवला का चूर्ण दूध में पकाकर घी के साथ लेना चाहिये।

6। वाजीकरण के लिये – आंवला के चूर्ण में आंवला के रस की भावना देकर उस चूर्ण को मिश्री, शहद और घी (शहद और घी विषम मात्रा में लें जैसे घी एक भाग और शहद दो भाग अथवा शहद एक भाग और घी दो भाग) के साथ चाटकर ऊपर से दूध पीना चाहिये, इससे अस्सी वर्ष का वृद्ध भी जवान के समान कामयुक्त हो जाता है।

7। पांडु रोग (Anaemia) में – आंवला का रस शहद के साथ पीना चाहिये।

8। ताजे आंवला को पीसकर उसकी लुगदी से नाभि के आसपास गोल क्यारी बनाकर उसमें अदरक स्वरस भरकर 3-4 घंटे उसी प्रकार रहने दें। नित्य प्रति इस प्रयोग के करने से श्वेत प्रदर अवश्य मिट जाता है। (रोगिणी लाल व हरी मिर्च कदापि न खाये। मात्र कालीमिर्च ही खाये)

9। आंवला की गुठली की गिरी कूटकर गरम जल में उबालें। ठंडा होने पर छानकर इस जल से नेत्रों को धोने से दुखती आँखें शर्तिया ठीक हो जाती है।

10। भोजन के बाद जिन्हें एकदम शौच (पाखाना) जाने की शिकायत रहती हो वे 2 से 6 माशा (1 माशा=0.97 ग्राम) तक सूखे आंवलों का महीन चूर्ण बराबर खांड मिलाकर ताजे जल से भोजन के बाद सेवन करें।

11। बुद्धिवृद्धि के लिये – तिल, आंवला का चूर्ण, शहद और घी (विषम मात्रा में) के साथ चाटने से वृद्धावस्था दूर होती तथा बुद्धि बढ़ती है।

12। आंवला को जल में पीसकर नाभि पर उसकी मेड़ सी (घेरा) बनाकर उसमें अदरक का रस भर दें, इस प्रयोग से वेगवान अतिसार भी रुक जाता है।

Read more:



Previous Post
Next Post

0 टिप्पणियाँ: