अकीक भस्म ह्रदयकी सब प्रकारकी निर्बलता, उष्णता, ह्रदय-रोग, नेत्र-रोग, रक्तप्रदर आदिको दूरकर शरीरको बलवान बनाती है। थुंकमे रक्त आता हो तो उसे बंद करती है। एवं मस्तिस्कको शांत बनाती है। रक्तस्त्रावके रोधके लिये अकीक पिष्टि, तृणकान्तमणि पिष्टि, अभ्रक भस्म और अमृतासत्व मिलकर देनेसे सत्वर लाभ पहुंचाती है।
अकीक भस्म की मात्रा: 1 से 3 रत्ती दिनमें दो समय शहद के साथ दें।→ स्वर्ण भस्म (प्रज्ञा, वीर्य,बल, स्मृति और कान्ति को बढ़ाने वाली, पौष्टिक)
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