गुरुवार, 3 अगस्त 2017

संशमनी वटी के स्वास्थ्य लाभ: Benefits of Sanshamani vati

संशमनी वटी (Sanshamani Vati) जीर्णज्वर (पुराना बुखार), क्षय (T.B.), पाण्डु (Anaemia), खांसी, प्रदर (Leucorrhoea), वीर्यस्त्राव (Spermatorrhoe), धातु क्षीणता, निर्बलता आदि दोषोको दूर करके शरीर में बल बढ़ाती है। पित्त प्रकृति वाले, नाजुक प्रकृति वाले, सगर्भा, प्रसूता और बालको के लिए यह लाभदायक है। वातवाहिनिया, मांस, स्नायु, ग्रंथिया और मस्तिष्कको बलवान बनाती है। स्मरणशक्ति को बढ़ाती है और शरीरमे स्फूर्ति लाती है। बिगड़े हुये धातु को सुधारने, जीर्णज्वरको दूर करने और पचन क्रियाको बढ़ानेमे अति हितकर।

संशमनी वटी घटक द्रव्य और निर्माण विधि (Sanshamani Vati Ingredients): गिलोय घन 10 तोले, लोह भस्म 1 तोला, अभ्रक भस्म 1 तोला और सुवर्णमक्षिक भस्म 6 माशे मिलाकर दो-दो रत्तीकी गोलिया बना लेवे। (1 तोला = 11.66 ग्राम)

Ref: वैधक चिकित्सा सार  

मात्रा: 2 से 4 गोली दिनमे दो बार दूधके साथ।

संशमनी वटी दूसरी विधि (Sanshamani Vati Ingredients): गिलोय घन 10 तोले और लोह भस्म 1 तोला मिलाकर दो-दो रत्ती की गोलियां बनालें।

उपयोग: यह संशमनी वटी (Sanshamani Vati) पुराना बुखार, क्षय, पांडु, रक्त की निर्बलता, ह्रदयरोग, प्रदर, वीर्यस्त्राव और मंदाग्नि में लाभदायक है। बुखार के पीछे की निर्बलता और पांडुता (शरीर पीला पड़ जाना) को दूर करने के लिये अति उपयोगी है। 

मात्रा: 2 से 3 गोली दिन में 2 बार दूध के साथ देवें।

Ref: वैधक चिकित्सा सार 

Sanshamani Vati is useful in long-fever, anaemia, tuberculosis, lucorrhoea, spermatorrhoea and general debility. Sanshamani vati strengthens muscles, nervous system and brain. It brings enthusiasm to the body and mind. It can be give to young, old, pregnant and children.

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