सप्तविंशति
गुग्गुल भगंदर, अर्श (बवासीर), कास (खांसी), श्वास,
शोथ (सूजन), ह्रदयशूल (ह्रदय में वेदना), पार्श्वशूल (कमर दर्द),
कुक्षिशूल (Belly Ache), वृक्कशूल (Pain in Kidney), गुदा में पीडा, अश्मरी (पथरी), मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन), अंत्रवृद्धि और कृमिरोग को नष्ट करता है, जीर्ण ज्वर (पुराना बुखार) और क्षय (TB) रोगी के लिये हितकर है,
तथा इस सप्तविंशति गुग्गुल का दिर्धकाल (लंबे समय) तक सेवन करने पर आनाह (अफरा), उन्माद (Insanity), कुष्ठ (Skin
Diseases), समस्त प्रकार के पेट के रोग, नाड़ीव्रण (Sinus), दुष्ट व्रण (सड़ा हुआ घाव), सब प्रकार के प्रमेह,
श्लीपद (हाथीपगा) आदि समस्त रोग नष्ट होते है।
मात्रा: 1 से 2 गोली
शहद के साथ दिन में 2 बार दें।
घटक द्रव्य: सौंठ, मिर्च, पीपल,
हरड़, बहेड़ा,
आंवला, नगरमोथा,
वायविडंग, गिलोय,
चित्रकमूल, कचूर,
छोटी इलायची, पिपलामूल,
हाउबेर, देवदारू,
तुंबरू (नेपाली धनिया), पुष्करमूल,
चव्य, इन्द्रायण की जड़, हल्दी, दारूहल्दी,
बीडनमक, कालानमक,
जावाखार, सज्जीखार,
सैंधानमक, गजपीपल और शुद्ध गुग्गुल।
Ayurvedic medicine are best than other medicine.Use ayurvedic and spread Ayurvedic.
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