कन्यालोहादि गुटिका
अति सौम्य है। स्त्रियोको मासिकधर्म ज्यादा होता हो,
या अनियमित आता हो, ऋतु ज्यादा दिनोसे बंद हो, इन सबको सुधारती है। मासिकधर्म आनेपर 10 दिनतक यह
औषधि बंद रखे; पश्चयात पुनः प्रारंभ करे।
कन्यालोहादि वटीका
उपयोग हम अनेक वर्षोसे सफलता पूर्वक करते रहे है। कितनीक युवतियोको मासिकधर्म
आनेके प्रारंभसे ही उदरमे अधिक पीड़ा होती है और मासिकधर्म शुद्धि नहीं होती। फिर
शिरदर्द, व्याकुलता,
अग्निमांद्य, अरुचि,
मलावरोध आदि लक्षण उपस्थित होते है। एसी स्त्रियोको 4-6 मास तक इस वटीका सेवन
करानेपर मासिकधर्म नियमित आने लगता है। छोटी आयुवाली स्त्रियोके समान बड़ी आयुवाली
स्त्रियोको भी यह वटी दी जाती है।
वक्तव्य: यदि
रुग्णाके देहमे पांडुता आ गई हो, रक्तकी न्यूनता हो, तो पहले रक्तवर्धक औषधि देनी चाहिये। फिर मासिकधर्मकी
शुद्धि न हो तो इस वटीका प्रयोग करना चाहिये।
इस औषधिके
सेवनकालमे द्विदल धान्य ( चना, मटर,
आदि ), मिठाई और पचनेमे भारी हो ऐसे पदार्थोका
सेवन कम करना चाहिये। अन्यथा क्वचित किसीको उदरमे पीड़ा होने लगती है।
मात्रा: 2 से 3
गोली दिनमे 2 बार जलके साथ दे।
Kanyalohadi
Gutika is also known as Kanyalohadi Vati. It is useful for women. It cures the
entire problems related to menstrual cycle.
0 टिप्पणियाँ: