स्वादिष्ट पाचन
वटी का रस चूसते रहने से लालास्त्राव बढ़ता है;
फिर उसके अनुरूप पाचक पित्त (Gastric Juice) के स्त्राव की वृद्धि होती है। इस कारण
अपचन, आमवृद्धि,
अरुचि, अग्निमंद्य, पेट में वायु भरा रहना,
पेट दर्द, अपान वायु का अवरोध, कब्ज, उबाक,
बेचैनी, शिरदर्द आदि विकार पर इस वटी से सत्वर
लाभ पहुंच जाता है।
रुचि उत्पादक
मुख्य औषधियों के भीतर यह उत्तम औषधि है। आमाशय (Stomach)
से लेकर बृहदंत्र (Large Intestine) तक के दोषों को हटाती है और मन को
प्रफुल्लित बनाती है।
स्वादिष्ट पाचन
वटी घटक द्रव्य: सौंठ, पीपल,
लौंग, दालचीनी,
धनिया, अकलकरा,
चित्रकमूल, कालीमिर्च,
काला जीरा, सैंधानमक,
कालानमक, भुना जीरा और अनार की खटाई।
मात्रा: 2 से 6
गोली दिन में 3 बार लेवें; या 1-1 गोली मुंह में रख कर रस चूसते
रहें।
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