रविवार, 16 मई 2021

महाशंख वटी / Mahashankh Vati Uses in Hindi

महाशंख वटी (Mahashankh Vati) के सेवन से अजीर्ण, पेट दर्द, मंदाग्नि, विषूचिका (Cholera) आदि रोगों का नाश होता है। महाशंख वटी उत्तम पाचन औषधि है। इस औषधि में बीड नमक होने से पेट में होने वाली गेस को यह बाहर निकाल देती है। कभी-कभी पेट में गेस उठती है और बाहर भी नहीं निकलती, फिर पेट में दर्द होता है। ऐसे समय पर इस औषधि से लाभ होता है। चित्रकादि वटी भी गेस को बाहर निकाल देती है।

महाशंख वटी में यवक्षार, सज्जीक्षार, पांचों नमक, शुद्ध हिंग, आदि दीपन-पाचन गुण के लिये मिलाये गये है। दीपन-पाचन का मतलब यह औषधियाँ अग्नि को भी प्रदीप्त करती है और अपक्व अन्न को भी पचाती है। शुद्ध पारद और शुद्ध गंधक की कज्जली औषधि के गुण में वृद्धि के लिये मिलाई गई है। इमली का क्षार अग्निमांद्य और शूल (Colic) का नाशक है। सोंठ, काली मिर्च, पीपल को त्रिकटु कहते है, त्रिकटु अग्नि को प्रदीप्त कर कफ-वात का नाश करता है। दंतीमूल रेचक, अग्निदीपक और पेट के रोगों का नाशक है। हरड़ अग्निदीपक, रसायन, त्रिदोष नाशक, रेचक तथा पेट के रोगों की नाशक है।

इन सभी औषधियों के योग से महाशंख वटी पाचक, अग्निवर्धक, वातानुलोमक (वायु की गति को नीचे की तरफ करनेवाली) और कृमि नाशक है। इसके सेवन से अपानवायु (नीचे की तरफ से निकलनेवाली वायु) छूटती है, अफरा, कब्ज आदि मिटते है। अग्नि प्रदीप्त होती है तथा अजीर्ण, विषूचिका आदि रोगों का नाश होता है। यह परिणामशूल (भोजन के बाद पेट में दर्द होना) में भी अच्छी उपयोगी है। परिणामशूल में शंखवटी और अग्निटुंडी वटी भी उपयोगी है।

महाशंख वटी का उपयोग अपचन, पेट दर्द, पेट में वायु भरा रहना, गेस आदि में होता है। यह पारद वाली औषधि होने से लंबे समय तक इसका उपयोग नहीं करना चाहिये। साथ-साथ इस औषधि में वच्छनाग होने से प्रमाण से अधिक मात्रा नहीं लेनी चाहिये।

मात्रा: 1-1 गोली सुबह-शाम या आवश्यकतानुसार लें। (1 गोली=250 mg)

बनावट: शंख भस्म 2 तोला; शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, शुद्ध वच्छनाग, शुद्ध हिंग, शुद्ध टंकण, पांचों नमक, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, पिपलामूल, चित्रकमूल, दंतीमूल, इमली का क्षार, यवक्षार, सज्जीक्षार, अजवायन और हरड़ प्रत्येक 1-1 तोला।      

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