द्राक्षारिष्ट (Draksharishta) भूख बढ़ानेवाला, शरीर को पुष्ट करनेवाला, शरीर को स्फूर्ति प्रदान करनेवाला तथा शरीर को पोषण देनेवाला है। द्राक्षारिष्ट के सेवन से कफ के रोग, शारीरिक निर्बलता, अग्निमांद्य, कब्ज आदि रोग दूर होकर शरीर हृष्ट-पुष्ट बन जाता है।
द्राक्षारिष्ट का
प्रभाव सीधे श्वास यंत्र, वक्षःस्थल (छाती) और कलेजा (Liver) पर पड़ता है। यह कफ को शांत कर वायु का नाश करता है
अतः खांसी, श्वास,
गलरोग, प्रतिश्याय (जुकाम) जन्य उपद्रव, कफ जकड़ना, कुकुर खांसी आदि में अपना प्रभाव दिखाता
है।
द्राक्षारिष्ट
में सबसे अधिक प्रमाण मुनक्का का है, मुनक्का कफ नाशक, पित्त नाशक, हल्की दस्तावर (Mild Laxative), थकान को दूर करनेवाला तथा दम, खांसी और जलन नाशक है। मुनक्का के उपरांत इस अरिष्ट
में गुड़, दालचीनी,
इलायची, नागकेशर,
काली मिर्च आदि औषधियों का योग होने से यह अग्निमांद्य तथा आम (अपक्व अन्न रस) को
नष्ट करता है। गुड़ वायु नाशक और योगवही होने के कारण कफ, वायु, श्वास यंत्र को शुद्ध करने में शहायक है।
अग्निबल प्रद पौष्टिक पेय द्राक्षारिष्ट है इसमें संशय नहीं।
द्राक्षारिष्ट
बवासीर वालों तथा कमजोर लोगों को सेवन करने लायक उत्तम औषधि है। इसके सेवन से क्षय
के रोगी की निर्बलता दूर होकर कफ कम होता है, जिससे रोगी को अधिक लाभ होता है। यह सदा
सेवन करने लायक निर्दोष और बल-वीर्य वर्धक एक उत्तम टॉनिक है।
जिन लोगों को
हमेशा कब्ज रहता है और अन्य विरेचक औषधियों का सेवन करते है, उनके लिये द्राक्षारिष्ट उत्तम है। इसके सेवन से कब्ज
नहीं रहता और अग्नि प्रदीप्त होकर शरीर निरोग बन जाता है।
संक्षेप में यह
अरिष्ट अग्नि को प्रदीप्त करके कब्ज, निर्बलता,
खांसी, क्षय,
थकान आदि रोगों को दूर करनेवाली निर्दोष औषधि है।
मात्रा: 10 से 20
ml समान मात्रा में पानी मिलाकर सुबह-शाम।
द्राक्षारिष्ट
घटक द्रव्य: मुनक्का 3 सेर 10 तोले, गुड़ 12.5 सेर, धाय के फूल 40 तोला तथा काली मिर्च, नागकेशर, इलायची,
दालचीनी, प्रियंगु,
तेजपात, वायविडंग और पीपल प्रत्येक 5-5 तोला।
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