मकोय (Makoy) को काकमाची भी कहते है। मकोय के पौधे एक से लेकर तीन फूट तक ऊंचे होते है। इसके फल छोटी गूदी के फलों के समान होते है। ये कच्ची हालत में हरे, पकने पर लाल और बाद में काले पड जाते है। मकोय के सभी अंग औषधोपयोग में आते है।
मकोय त्रिदोष (कफ, वात और पित्त) नाशक,
गरम, रसायन,
नेत्रों को हितकर, स्वर को हितकर, वीर्यवर्धक तथा सूजन,
कुष्ठ, बवासीर,
बुखार, उल्टी,
प्रमेह, हिचकी और ह्रदय रोग को नष्ट करती है।
आयुर्वेदिक
औषधियों में मकोय के उपयोग के कारण: मकोय के फायदे / Makoy Ke Fayde
→ कफ-पित्त और वात तीनों दोषों को नष्ट करने के लिये (इन्दुवटी)
→ रसायन
और वीर्यवर्धक गुण के लिये
→ सूजन
को नष्ट करने के लिये
→ यकृत
(Liver) को शक्ति देकर उसके दोषों को दूर करने के
लिये (Livomyn Syrup)
→ ह्रदय
को लाभ पहुंचाने के लिये
→ बवासीर, बुखार, कुष्ठ,
ह्रदय रोग आदि रोगों की औषधियों में
→ मूत्रल
और रेचक गुण के लिये
आयुर्वेदिक
औषधियों में मकोय एक सूजन को नष्ट करनेवाली औषधि है। यह यकृत (Liver) को सुधारकर सूजन को नष्ट करती है। इसके सेवन से यकृत
की तमाम क्रिया सुधार जाती है। यकृत की क्रिया बिगड़ने से जीतने भी रोग है जैसे
बवासीर, सूजन,
पेट के रोग आदि इस के सेवन से नष्ट हो जाते है। सूजन में इसके फलों का लेप और सेवन
किया जाता है। इसके पत्तों के रस से दस्त साफ होकर आंतों के अंदर पैदा होनेवाला
विष (Toxin) नष्ट हो जाता है और जो थोड़ा बहुत विष
यकृत में पहुंचता है वह पेशाब के जरिये से बाहर निकल जाता है।
यूनानी मत से
मकोय कान, नाक और आँखों की बीमारी में उपयोगी, गले में जलन को दूर करनेवाली तथा पुराना बुखार और
यकृत की सूजन में बहुत उपयोगी होती है। यह औषधि गर्भवती स्त्रियों को नहीं देनी
चाहिये। इसका फल सूजन को दूर करनेवाला और बुखार की प्यास को मिटानेवाला होता है।
मात्रा: फल 3 ग्राम
से 6 ग्राम तक; सर्वांग 6 ग्राम से 12 ग्राम तक।
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