बुधवार, 3 मार्च 2021

गर्भपाल रस के फायदे / Garbhpal Ras Benefits in Hindi

गर्भपाल रस (Garbhpal Ras) गर्भस्त्राव और गर्भपात होने से बचाता है, तथा गर्भिणी के अतिसार (Diarrhoea), बुखार, प्रदर, श्वास, खांसी, उल्टी, मंदाग्नि, अरुचि, वातवृद्धि, शूल (Colic), कब्ज, शिरदर्द आदि को दूर करके गर्भ को बलवान और निरोग रखता है।

उपदंश (Syphilis) अथवा सुजाक (Gonorrhoea) के कारण गर्भाशय में विकृति होने पर गर्भपात होने की विशेष संभावना रहती है। उस पर पहिले रक्तशोधक (खून को शुद्ध करनेवाली) औषधि के साथ गर्भपाल रस देने से गर्भिणी और गर्भ दोनों की रक्षा होती है। यदि बीजकोषों की पूर्ण परिमाण में वृद्धि न होने से गर्भस्त्राव या गर्भपात होता हो, तो वंग या त्रिवंग भस्म के साथ गर्भपाल रस देने से गर्भवृद्धि और रक्षण में सहायता मिलती है।  

अनेक स्त्रियों को गर्भधारण के बाद भोजन कर लेने पर तत्काल उल्टी, चक्कर, घबराहट, एंठन, शिरदर्द, कमर दर्द आदि लक्षण होते है। उसपर गर्भपाल रस के साथ कामदूधा रस, प्रवाल भस्म अथवा स्वर्णमाक्षिक भस्म देने से सब विकारों का शमन होता है। किसी-किसी स्त्री के बच्चे जन्म के बाद थोड़े ही दिनों में अथवा थोड़े ही महीनों में बार-बार मर जाते है, उनमें प्रायः राजवीर्य या स्त्री दुग्ध में दोष रहता है। यह दोष गर्भचिंतामणि रस या गर्भपाल रस के सेवन से दूर होता है।

मात्रा: 1 से 2 गोली दिन में 2 बार मुनक्का के जल में देवें। मुनक्का को पानी में भिगो 2 तोले (1 तोला=11.66 ग्राम) स्वरस निकालकर ऊपर पिलावें।

घटक द्रव्य और निमान विधान: शुद्ध सिंगरफ, नाग भस्म, वंग भस्म, त्रिजात (दालचीनी, तेजपात और इलायची), त्रिकटु (सोंठ, कालीमिर्च, पीपल), धनिया, काला जीरा, चव्य, मुनक्का, देवदारु, ये 14 द्रव्य 1-1 तोला, और लोह भस्म 6 माशे लें। सबको यथाविधि मिलाकर सफेद अपराजिता (कोयल) के रस में 7 दिन तक खरल करके मटर के समान गोलियां बनावें। 
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