शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

तालमखाना के फायदे / Talamkhana Benefits


तालमखाना का क्षुप 2 से 5 फीट तक ऊंचा होता है। किसी-किसी क्षुप में टहनियाँ नीचे जड़ के समीप से ही फुटकर फैलती है, किसी में ऊंची डाल पर ही फूट निकलती है। तालमखाना की जड़ और बीज दोनों औषधयोजना में लिये जाते है।

तालमखाना शीतल, वीर्यवर्धक, मधुर, अम्ल तथा तिक्त (कड़वा) रसयुक्त, पिच्छल (पिच्छल पदार्थ बलकारक, भारी, टूटे हुये को जोड़ने वाला और कफकारक होता है।) तथा वात, आमशोथ (आम के कारण सूजन), पथरी, प्यास, दृष्टिरोग और वातरक्त (Gout) का नाशक है।

तालमखाना पित्तातिसार (पित्त के कारण दस्त) और कफ का नाशक, बलकारक, रुचिकारक, आमवात (Rheumatism) और रक्तपित्त का नाशक और उत्तम संतर्पण है।

तालमखाना का बीज भारी, ग्राही, गर्भस्थापक, कफवातकारक, मलस्तम्भकारक तथा रक्तविकार, जलन और पित्त के नाशक है। तालमखाना के पत्ते सूजन, शूल, विष (Toxin), अफरा, वात, पेट के रोग, पांडुरोग एवं मलमूत्रों की रुकावट को मिटाते है। इसी के समान बड़े तालमखाना के गुण है।

तालमखाना की जड़ चिकनी और मूत्रल है। यह सूजन, प्रमेह, यकृत (Liver) की विकृति, संधिवात और मूत्राशय के शूलों के लिये प्रयोग की जाती है। इसके बीजों का उपयोग वाजीकरण के रूप में किया जाता है। बीजों का लेप संधिवात में दुखती संधियों के लिये भी किया जाता है। सूजन के रोगियों पर तालमखाना का उपयोग लाभदायक सिद्ध हुआ है।

यूनानी मत से तालमखाना बलदायक, प्रसन्नताकारक, स्फूर्तिकारक, कामशक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक और वीर्य को गाढ़ा करनेवाला तथा स्तंभनकारक भी है। वात और रक्तदोषों के लिये लाभदायक है। वीर्यस्त्राव (शुक्रमेह) और जलोदर को नष्ट करता है।

तालमखाना के कुछ स्वतंत्र प्रयोग: तालमखाना के फायदे

वाजीकरण के लिये: कौंच के बीज और तालमखाना का चूर्ण मिसरी मिलाकर धारोष्ण दूध के साथ सेवन करने से स्त्रीसंभोग-शक्ति बढ़ती है।

वातरक्त (Gout) में: तालमखाना की जड़ का क्वाथ पीना चाहिये एवं पत्तों का शाक खाना चाहिये। इस प्रकार लंबा प्रयोग करने से वातरक्त नष्ट हो जाता है।

 संधि के मांसपेशी हट गई हो तो: तालमखाने के पंचांग का लेप करना लाभदायक है।

तालमखाना का क्षार: कफ को निकालनेवाला और दस्तों के द्वारा दोषों को निकालनेवाला तथा जलोदर नाशक है।

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