सज्जीखार (Sajjikhar) सफेद भूरे रंग की मिट्टी के समान खारी वस्तु है। यह
दो प्रकार की होती है – एक कृक्षों से बनती है,
यह विदेशी ही होती है। अब हमारे देश में भी तीन प्रकार के क्षुप इस प्रकार के
ढूँढे जा चुके है जिनसे सज्जीखार बनता है। इनके सुखाये हुये क्षुप को एक गड्ढे में
भरकर उसमें आग लगा देते है। इसकी राख़ को ही खारी कहते है। इसी खारी से सज्जीखार
बनाई जाती है। दूसरी सज्जी मिट्टी से बनती है। ऐसी भूमि में जहां खारापन विशेष
होता है, भूमि फूल जाती है। उस मिट्टी को एकट्ठा
करके उससे सज्जीखार
(Sajjikhar) बनाई जाती है।
सज्जीखार (Sajjikhar) जवाखार की अपेक्षा
हीन गुणवाली है। विशेषतया गुल्म (पेट की गांठ) और शूल को दूर करनेवाली है।
सुवर्चिका (शोरा) में भी आयुर्वेदज्ञाता विद्वानों ने सज्जी के समान ही गुण बतलाये
है। शोरा भी सज्जीखार के समान मृतिका से ही बनाया जाता है। इसे बड़ी-बड़ी भट्टियों
में अधिक स्वच्छ करते है। यह बिलकुल सफेद होता है। सज्जीखार मैले रंग की होती है।
मात्रा: 2 रत्ती
से 1 माशा तक। (1 रत्ती=121.5 mg; 1 माशा=0.97 ग्राम)
और पढ़ें:
0 टिप्पणियाँ: