बुधवार, 22 जनवरी 2020

अतीस के फायदे / Atis Ke Fayde


अतीस (Atis) का पौधा एक से तीन फीट तक ऊंचा होता है। इस पौधे की जड़ को अतीस कहते है। यह प्रायः 1.5-2 इंच लंबी हाथी के सूंड के आकारवाली जमीन में घुसी रहती है अर्थात ऊपर मोटी और नीचे पतली रहती है। अतीस को अतिविष भी कहा जाता है।  

अतीस (Atis) उष्णवीर्य, पाचक और अग्निदीपक होती है एवं कफ, पित्त, अतिसार (Diarrhoea), आम (अपक्व अन्न रस जो एक प्रकार का विष है और शरीर में रोग पैदा करता है), विष (Toxin), खांसी, उल्टी और कृमिनाशक है।

अतीस त्रिदोष (वात-पित्त-कफ) नाशक, बालकों के लिये सदैव हितकर और सूजन नाशक है। यह बुखार, यकृत (Liver) विकार, प्यास, बवासीर, पीनस (सड़ा हुआ जुकाम), पित्तोदर और सब प्रकार के रोगनाशक है।

अतीस (Atis) पाचक, पौष्टिक, बलकारक और ज्वरप्रतिषेधक है, ज्वर के बाद की अशक्ति इससे दूर होती है। खांसी, अजीर्ण और अग्निमांद्य में अतीस उपयोगी है। अतीस सुगंधित (सुगंधित द्रव्यों के गुणों के बारेमें हमने सौंफ के आर्टिकल में लिखा है) और तिक्त (कड़ुवे) द्रव्यों के साथ अतिसार में उपयोग की जाती है। मलेरिया ज्वर में क्वीनाइन के समान उपयोगी नहीं है। कृमि में वायविडंग के साथ व्यवहार में लाई जाती है।

अंग्रेज़ डाक्टर अतीस की पंद्रह रत्ती की मात्रा प्रत्येक चार या छः घंटा बाद ज्वरघ्न (बुखार नाशक) मानते है। डा. मुईउद्दीन शरीफ प्रकट करते है कि इसकी थोड़ी मात्रा पौष्टिक है। डा. डीमक इसको पाचक, ज्वरघ्न और दीपन-पाचनशक्ति वर्धक स्वीकार करते है। डा. कोमान के मत से अतीस भयंकर पेचिश और आमाशय (Stomach) की सूजन पर लाभदायक है। कर्नल चोपड़ा के मतानुसार सामयिक ज्वरनिवारक, संकोचक, कामोत्तेजक और पौष्टिक है।

अतीस (Atis) अग्नि को दीप्त करने वाली तथा बुखार, खून की दस्ते और पेट के कृमियों को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति रखती है। इसके अतिरिक्त बालकों के तमाम रोगों पर यह औषधि अमृतोपम अक्सीर साबित हुई है। बालकों के बुखार, खांसी, दस्ते, सर्दी, अजीर्ण, उल्टी, कृमि, कफ, यकृत की वृद्धि इत्यादि तमाम रोगों को यह औषधि नष्ट करती है।

अकेली अतीस को पीसकर चूर्ण कर शीशी में भर कर रखना चाहिये। बालकों के तमाम रोगों के ऊपर आँख मिचकर इसका व्यवहार करना चाहिये। इससे बहुत लाभ होता है। बालक की उम्र को देखकर इसे एक से चार रत्ती तक शहद के साथ चटाना चाहिये। (1 रत्ती=121.5 mg)

अतीस (Atis) को आयुर्वेद के आचार्यों ने पर्याय नाम शिशु भैषज दिया है क्योंकि बच्चों के किसी भी रोग में इसका चूर्ण शहद में दिया जा सकता है। यह बच्चों के बुखार, अजीर्ण, उल्टी, दस्त, कृमि विकार तथा दांत निकलने के समय के विकारों में अत्यंत उपयोगी वनस्पति है। बच्चों को अधिक से अधिक आधा ग्राम तक ही अतीस का चूर्ण दिया जा सकता है। इसको अधिक मात्रा में देना उचित नहीं है।

यूनानी मत से अतीस (Atis) द्वितीय श्रेणी में उष्ण और रुक्ष है। ग्राही, कामोत्तेजक, पाचक, मलावरोधक, पित्त-कफ नाशक, वातानुलोमक (वायु की गति को नीचे की तरह करने वाली), बवासीर, जलोदर, उल्टी और बुखार नाशक है।

अतीस से निर्मित कुछ प्रमुख आयुर्वेदीय औषधियाँ: बालचातुर्भद्र चूर्ण, लोध्रासव, पुष्यानुग चूर्ण इत्यादि।  

मात्रा: 4 रत्ती से 1.5 माशा तक। (1 रत्ती=121.5 mg; 1 माशा=0.97 ग्राम)

अतीस के कुछ स्वतंत्र प्रयोग: अतीस के फायदे / Atis Ke Fayde   

1) अग्निदीपन में: अतीस का प्रयोग दीपन, पाचन, ग्राही और सब दोषनाशक है।

2) बालरोग पर: अतीस का चूर्ण बच्चों के खांसी, बुखार, उल्टी में लाभदायक है।

3) बवासीर पर: अतीस, इन्द्रजौ और रसौत समान भाग लेकर चूर्ण करके उसे शहद में चाटने से बवासीर मिटती है।

4) चढ़े हुये बुखार में: अतीस के चूर्ण की फंकी देकर ऊपर से गर्म जल पिलाने से पसीना आकर चढ़ा हुआ बुखार उतर जाता है।

5) श्वास: अतीस और पोहकरमूल के चूर्ण को शहद में चटाने से श्वास रोग मिटता है।

6) अतीस और वायविडंग का समान भाग चूर्ण शहद के साथ चटाने से बच्चों के पेट के कृमि नष्ट होते है।

7) अतिसार में: सभी प्रकार के अतिसारों में सोंठ, अतिविष और नागरमोथा का क्वाथ 10 ग्राम को लेकर पानी में मंदाग्नि में उबालकर 20 ग्राम पानी शेष रहने पर गरम-गरम पीने से अवश्य लाभ होता है। यदि अतिसार का रोग पुराना हो तो उपरोक्त क्वाथ दो सप्ताह तक निरंतर सेवन करने तथा लघु सुपाच्य आहार खाने से लाभ हो जाता है।

8) अतीस, काकड़ासिंघी, नागरमोथा और बच चारों औषधियों का चूर्ण बनाकर ढाई रत्ती से 10 रत्ती तक की खुराक में शहद के साथ चटाने से बालकों की खांसी, बुखार, उल्टी, अतिसार वगैरह दूर होता है।

9) अतीस चूर्ण दो ग्राम और विडंग चूर्ण 5 ग्राम सुबह-शाम ताजा पानी से मात्र 1 सप्ताह खिलाने से बिस्तर पर पेशाब करने का रोग मिट जाता है। छोटे बच्चों को मात्रा कम करके प्रयोग करायें।

10) अतीस, नागरमोथा, पीपर, काकड़ासिंगी और मुलेठी, इन सबको समान भाग लेकर चूर्ण करके 4 रत्ती से 6 रत्ती की मात्रा में शहद के साथ चटाने से बच्चों की खांसी, बुखार व अतिसार बंद होता है।

और पढ़ें:






Previous Post
Next Post

0 टिप्पणियाँ: