बुधवार, 11 दिसंबर 2019

चिरायता के फायदे / Chirayata Ke Fayde


पृथ्वी के सभी देशों में उत्पन्न चिरायता (Chirayata) की जातियों को गिना जाय तो वह 180 के लगभग होती है जिनमें से 37 प्रकार का चिरायता तो भारतवर्ष में ही मिलता है। जिस चिरायता (Chirayata) का व्यवहार चिकित्सा में हम लोग करते है उसका क्षुप 2 फीट से 5 फीट तक ऊंचा होता है। चिरायता (Chirayata) का पंचांग ही औषधयोजना में ग्रहण किया गया है। चिरायता को लेटिन में Swertia Chirayta कहते है।  

चिरायता (Chirayata) सारक (दस्तावर), शीतल, वातकारक और लघु (लघु पदार्थ पथ्य, तुरंत पचन होनेवाला और कफ नाशक होता है) है एवं सन्निपात बुखार, श्वास, शूल, प्रमेह, प्रदर, बवासीर, कंडु, कफ, पित्त, रक्तदोष, जलन, खांसी, सूजन, प्यास, कुष्ठ, बुखार, व्रण (घाव), अरुचि और कृमिनाशक है।

चिरायता (Chirayata) सिनकोना और दूसरी तिक्तबल्य (कड़वी और बल्य) औषधियों के समान पाचक, मृदु रेचक और कृमिघ्न है। यह भूखवर्धक, पाचनशक्ति वर्धक है, किन्तु मलावरोधक गुण (कब्ज करने का गुण) कुनैन के समान नहीं है। अफरा, अन्न विदाह को मिटाता है, पित्तनाशक है एवं यकृत (Liver)-प्लीहा (Spleen) वृद्धि तथा इनके कारण उत्पन्न हुई मंदाग्नि में, अम्लपित्त, आध्यमान (अफरा), वात, पुराना बुखार तथा विषमज्वर (Malaria) में व्यवहार किया जाता है। क्षार और सुगंधित (सुगंधित द्रव्यों के गुणों के बारेमें हमने सौंफ के आर्टिक्ल में विस्तार से लिखा है) द्रव्यों के साथ पित्तविकार और अंगदाह (शरीर के किसी अंग में जलन होना) में उपयोगी है। पुराने बुखार में देशी दवा महा सुदर्शन चूर्ण प्रसिद्ध है।

चिरायता (Chirayata) को उबालने से इसके औषधीय गुण कम हो जाते है। इसका ठंडे पानी में फांट (औषधियों के महीन चूर्ण को किसी पात्र में गरम उबलते हुए 16 गुने जल में डालकर ढक्कन लगा दें। आध या एक घंटे बाद छान लेने से फांट होजाता है) करके उपयोग करना उचित है। चिरायता शक्तिवर्धक और ज्वरघ्न (बुखार को नाश करने वाला) है, मंदाग्नि में, जठराग्नि वृद्धि के लिये इसका व्यवहार किया जाता है।

यूनानी मत से चिरायता (Chirayata) गर्म और खुश्क है, कमर और फेफड़ों के लिये हानिकारक है, मूत्रल, खांसी नाशक है, शीतजन्य यकृत शोथ (सूजन) को शांत करता है। रक्तशोधक, यकृत और ह्रदय को बलदायक है। गर्भाशय, वृक्क (Kidney) और वक्षःशूल (छाती में दर्द) को शांत करता है। ज्वरविकार और चर्मरोगनाशक है।

मात्रा: चिरायता का चूर्ण 3 माशा से 6 माशा तक व्यवहार में आता है। (1 माशा=0.97 ग्राम)

चिरायता के कुछ गुणकारी प्रयोग: चिरायता के फायदे / Chirayata Ke Fayde

Y रक्तपित्त में – चिरायता का चूर्ण चंदन के चूर्ण के साथ मिलाकर लेना चाहिये। ऊपर से ठंडा जल पीना चाहिये।

Y सूजन – चिरायता का कल्क (आर्द्र औषध को शीला पर पीस देवे अथवा शुष्क औषध को जल देकर अच्छी तरह पीस देवे तो उसे कल्क कहते है) सेवन करने से सूजन मिटती है।

Y गर्भिणी की उल्टी के लिये – चिरायता का कल्क समान भाग मिश्री या खांड के साथ सेवन करने से उल्टी मिटती है। शहद के साथ सेवन करने से ह्रदय शूल मिटता है।

Y बुखार के बाद की कमजोरी और मंदाग्नि पर – चिरायता का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से भूख खुल जाती है। हलकी हरारत दूर होती है।

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