सेंधा नमक (Sendha Namak) प्रसिद्ध है। यह सफेद कुछ लालिमा युक्त
वर्ण में दिखाई पड़ता है। कोई कोई इसके सफेद और लाल भेदों से दो भेद मानते है। सफेद
अधिकतर उत्तम होता है। सेंधा नमक की खाने जमीन के अंदर होती है जिन से यह निकाला
जाता है। यह चमकदार पत्थर के रूप में एक पारदर्शक पदार्थ रहता है और सब नमकों में सेंधा
नमक (Sendha Namak) उत्तम है।
सेंधा नमक (Sendha Namak) स्वादिष्ट,
अग्निदिपक, पाचक,
लघु (तुरंत पचन होनेवाला और कफ नाशक), स्निग्ध (स्निग्ध पदार्थ वायु का नाश करनेवाला, पौष्टिक और बलदायक होता है), रुचिकारक, शीतवीर्य,
वृष्य (पौष्टिक), सूक्ष्म (सूक्ष्म स्त्रोतों में भी
प्रवेश करके प्रभाव दिखानेवाला), नेत्रों के लिये हितकारी और तीनों दोषों
(कफ, पित्त और वात) को दूर करनेवाला है। जहां पथ्य में नमक खाना मना हो, वहां थोड़ा सेंधा नमक लें सकते है।
सेंधा नमक (Sendha Namak) अविदाही (जलन नहीं करनेवाला), ह्रदय को हितकारी,
त्रिदोषनाशक, व्रणदोष,
मलस्तम्भ और ह्रदय रोग को नाश करता है। आयुर्वेद में सदैव नमक नाम से सेंधा नमक ही
ग्रहण किया गया है। सेंधा नमक का प्रयोग बहुत स्थानों पर आया है, जैसे हिंगवाष्टक चूर्ण,
लवण भास्कर चूर्ण, दीनदयाल चूर्ण, चंद्रप्रभा वटी, अग्नितुंडी वटी, चित्रकादि वटी इत्यादि।
जिस व्यक्ति का
मल सूख गया हो उसके लिये सेंधा नमक से सिद्ध किया हुआ धृत पिलाना चाहिये इससे
चिकनाई होकर दस्त आ जाता है। या सेंधा नमक युक्त धृत पिलाना चाहिये। तिल तेल में
अत्यंत सूक्ष्म सेंधा नमक (Sendha
Namak) पीसकर मालिश करने से
खुजली मिटती है।
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