मुलेठी (Mulethi) दो प्रकार की होती है। एक मुलेठी का क्षुप होता है, दूसरी मुलेठी की लता होती है। मुलेठी की क्षुप
भारतवर्ष में पहाड़ों पर कहीं-कहीं मिलते है। विशेषतया दक्षिण की पहाड़ियों पर होती
है। दक्षिणी यूरोप, मिश्र,
ईरान, एशियाई माइनर में भी होती है और वहीं से
भारत में आकर बिकती है। मुलेठी की जड़ ही व्यवहार में आती है, वही मुलेठी उत्तम समझी जाती है जो मधुर तथा बिना रेशे
(तन्तुरहित) वाली हो।
मुलेठी (Mulethi) शीतल, स्वादिष्ट,
नेत्रों को हितकारी, बल, वर्णकारक,
वीर्यवर्धक, बालों को हितकर, स्वर को हितकारक,
पित्त, वात और रुधिर के विकार, सूजन, विष,
उल्टी, तृषा (प्यास), ग्लानि और क्षयरोग नाशक है।
मुलेठी (Mulethi) खांसी को दूर करती है। सारक (हल्की दस्तावर) है।
हल्की दस्तावर होने से गर्भिणी को दस्त कराने के लिये इसका प्रयोग निस्संकोच किया
जा सकता है। गले की खराशों को दूर करके स्वर को सुधारती है। मुंह से गिरनेवाले खून
को रोकती है। इसका सत्व (Extract) खांसी की बहुत उत्तम औषध है।
मुलेठी (Mulethi) जीवजीय गण की औषधि है। यह जीवन को पोषण देने वाली
औषधियों में से एक है। यह परम व्रणरोपण (घाव को भरनेवाली) औषधि होने से मुंह के
छालों में शहद (शहद भी परम व्रणरोपण औषध है) के साथ छालों पर लगाने से सत्वर छाले
दूर हो जाते है। मुलेठी आमाशय (Stomach), कंठ (गला),
वक्षःस्थल (छाती) और मूत्रमार्ग की सूजन को दूर करती है। बवासीर, प्लीहा विकार (Spleen
Disorder) को लाभदायक है। बलगम
(कफ) को श्वास नली, फेफड़े,
प्लीहा, यकृत (Liver),
वृक्क (Kidney), मूत्राशय से निकालती है। मुलेठी कफ
वृद्धि की कमी करके खांसी के वेग को कम करती है।
महर्षि सुश्रुत
ने अपनी सुश्रुत संहिता में सर्वोपघात शमनीय नामक एक महान योग को बतलाया है। उस
योग का वर्णन हमने वायविडंग के आर्टिकल में किया है। यह योग मुलेठी और वायविडंग के
संयोग से बनता है और मानवीय शरीर में होनेवाले प्रायः हर एक रोग पर यह प्रत्यक्ष
या अप्रत्यक्ष प्रभाव अवश्य डालता है।
मुलेठी को
आयुर्वेदी औषधियों में मिलाने के कारण: (Mulethi
Ke Fayde)
Y मृदु रेचक होने से रेचक औषधियों के साथ (स्वादिष्टविरेचन चूर्ण)
Y कफ को निकालनेवाली होने से खांसी और कफ के रोगों को
दूर करने के लिये (एलादि वटी)
Y वीर्यवर्धक गुण के लिये (पुष्पधन्वा रस)
Y रक्त की खराबी दूर करने के लिये
Y रक्तपित्त को नष्ट करने के लिये
मुलेठी के घरेलू
नुस्खे / मुलेठी के फायदे
1) रसायन गुण के
लिये: मुलेठी का चूर्ण दूध के साथ व्यवहार करना चाहिये।
2) ह्रदय रोग में
– मुलेठी और कुटकी का कल्क करके मिश्री और जल के साथ सेवन करना चाहिये।
3) पांडुरोग (Anaemia) में – मुलेठी का चूर्ण या क्वाथ शहद के साथ चाटने से
पांडुरोग मिटता है।
4) मुलेठी का
चूर्ण मिश्री के साथ देने से पित्ती के चकते मिट जाते है और जलन मिटती है।
5) वाजीकरण:
मुलेठी का चूर्ण (बड़ी मात्रा में) मिलाकर चाटने से एवं ऊपर से दूध पीने से कामवेग
बढ़ता है।
6) स्त्रियों के
दूध बढ़ाने के लिये – मुलेठी का चूर्ण और मिश्री खाकर ऊपर से गाय का दूध पीने से
दूध बढ़ता है।
7) मुखप्रभा के
लिये – मुलेठी और सौंफ का चूर्ण मिश्री मिलाकर खाने से गालों का रंग निखर जाता है।
8) श्वास-नलिका
के विकार पर – मुलेठी का क्वाथ शहद के साथ सेवन करने से गले का रुका हुआ कफ निकल
जाता है और खांसी में भी लाभ पहुंचता है, श्वास कष्ट दूर होता है।
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