शनिवार, 30 नवंबर 2019

इलायची के फायदे / Elaichi Ke Fayde


छोटी इलायची (Elaichi) का क्षुप अदरख के समान छोटा ही होता है, बड़ी इलायची के समान ही होता है, इसकी जड़ में भी कंद बैठता है। बीजकोष लंबाईयुक्त गोलाकार छोटा होता है। बीज छोटे थोड़े काले रंग के और सुगंधित होते है। इसको सूक्षमैला भी कहते है।  

भारतवर्ष के अंदर इलायची (Elaichi) को प्राचीन काल से ही बहुत मान प्राप्त है। यहाँ के खान-पान के अंदर तथा उत्तम पकवानों के अंदर सुगंधित द्रव्य के रूप में इसका उपयोग होता आया है। इसी प्रकार आयुर्वेदिक औषधियों में चूर्ण, वटी, पाक, अवलेह इत्यादि सब चीजों में गुण और रुचिवर्धन की दृष्टि से इलायची काम में ली जाती है।

छोटी इलायची (Choti Elaichi) शीतल, हलकी, वात-कफ नाशक, खांसी, बवासीर और मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) नाशक है। यह मुख और मस्तक को शोधन करनेवाली, गर्भपातकारक, रुक्ष, क्षय (Tuberculosis), मलदोष, बस्तिरोग (मूत्राशय के रोग), कंठरोग, मूत्राश्मरी (पथरी), व्रण (घाव) और खुजली नाशक है।

छोटी इलायची (Choti Elaichi) के बीज विशेषतः मूत्रनली की जलन, पेशाब की रुकावट में उपयोगी है, गले की खराश और सुखी खांसी दूर करने के लिये इसका प्रयोग बहुत किया जाता है। सुप्रसिद्ध योग सितोपलादिचूर्ण में इसका योग किया गया है। सुप्रसिद्ध योग अविपत्तिकरचूर्ण में भी इसका योग किया गया जो एसिडिटी, मूत्र की रुकावट, पथरी और मूत्रकृच्छ में उपयोगी है। 

छोटी इलायची (Ilaichi) आध्यमानहर (अफरा को दूर करने वाली), पाचक, गरम और सुगंधित पदार्थ है। सुगंधित पदार्थ के गुणों के बारेमें हमने सौंफ के आर्टिकल में लिखा है। यह अन्य वातघ्न औषधियों की तरह उपयोग में ली जाती है। विरेचन की औषधियों से कभी-कभी पेट में दर्द होने लगता है व पेट फूल जाता है, किन्तु उन औषधियों के साथ यदि इलायची डाली जाय तो यह आशंका जाती रहती है।

सुश्रुत तथा वाग्भट के अंदर इलायची मूत्रकृच्छ नाशक, बंगसेन में ह्रदयरोगनाशक, द्रव्य रत्नाकर में अश्मरी नाशक तथा धन्वंतरि निघंटु और भाव प्रकाश में श्वास, खांसी, क्षय और बवासीर नाशक मानी गई है। सुप्रसिद्ध योग तालीसादि चूर्ण में भी इसको मिलाया गया है।  
इलायची (Elaichi) पाचक, आमाशय (Stomach) तथा ह्रदय को शक्ति देने वाली, अरुचि और उबाक को बंद करने वाली तथा अपस्मार (Epilepsy), मूर्छा और वायुजन्य सिरदर्द में लाभकारी है। इसके भुने हुए बीज संग्राही तथा गुर्दे (Kidney) और बस्ति की पथरी को निकालने वाले है। इलायची का तेल रतौंधी (Night Blindness) के लिये रामबाण दवा है। आँख में इसका तेल लगाने से पुरानी से पुरानी रतौंधी नष्ट हो जाती है। इसको कान में डालने से कर्णशूल (कान का दर्द) नष्ट होता है। छोटी इलायची को मस्तगी और अनार के स्वरस के साथ देने से उल्टी और मिचलाहट का नाश होता है।

छोटी इलायची (Ilaichi) पाचन शक्ति को बहुत सहायता पहुंचाती है और आमाशय के विकारों को नष्ट करती है। अनार के रस में छोटी इलायची का चुरा मिलाकर पीने से पुरुषों का खोया (नष्ट) हुआ पुरुषार्थ पुनः वापस आ जाता है। यदि 1 बादाम खाने से 1 दुश्मन परास्त किया जा सकता है तो 1 छोटी इलायची के सेवन से 1 स्त्री (पत्नी या प्रेमिका) को परास्त किया जा सकता है। अनेक सुप्रसिद्ध वीर्यवर्धक योग जैसे चंद्रप्रभा वटी, शिलाजीत वटी, वीर्यस्तंभन वटी, मदनमंजरी वटी, शुक्रमातृका वटी, मृगनाभ्यादि वटी, अश्वगंधा पाक इत्यादि में इलायची का योग किया गया है।   

छोटी इलायची के बीज, सोंठ, लौंग और जीरा सभी सममात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर भोजनोपरांत 2 ग्राम की मात्रा में सेवन कर लेने से भोजन पच जाता है।

प्रतिदिन प्रातः निराहार 2 छोटी इलायची चबा-चबा कर खाने के बाद दूध या पानी पीने से रक्तपित्त का रोग नष्ट हो जाता है।

इलायची का बारीक चूर्ण पिपलामूल के चूर्ण के साथ घी में मिलाकर चाटने से ह्रदय रोग और गुल्म (पेट की गांठ) मिटता है।

बड़ी इलायची वातकारक, हल्की, रुक्ष, गरम है और कफ, पित्त, रुधिरविकार, खुजली, श्वास, प्यास, विष (Toxin), मूत्राशय के रोग, उल्टी और खांसी को नष्ट कर देती है। इसके बीजों में से एक प्रकार का तेल निकाला जाता है, जो सुगंधित, अग्निवर्धक, दिल को प्रसन्न करने वाला और उत्तेजक होता है।

सौंफ के साथ बड़ी इलायची का सेवन करने से पाचनशक्ति की निर्बलता नितती है। मिश्री के साथ लेने से आमाशय (Stomach) की जलन और गरमी मिटती है। काले नमक के साथ इसके चूर्ण को लेने से पेट का दर्द और अफरा मिटता है। बड़ी इलायची के बीज खरबूजे के बीज और सिकजबीन के साथ देने से गुर्दे (Kidney) की पथरी का नाश होता है। पाचन-प्रणाली और रस-क्रिया के अव्यवस्थित होने पर इसके बीज लाभ पहुंचाते है।

दिल घबराने या मन अचकचा होने पर एक बड़ी (सुर्ख) इलायची छीलकर दानों को नमक लगाकर खाने से आराम हो जाता है।

बड़ी इलायची (Elaichi) का चूर्ण 3 ग्राम मक्खन के साथ चाटने से आंतों की ऐंठन व दर्द, बार-बार दस्तों की शंका, अतिसार (Diarrhoea) तथा आमातिसार ठीक हो जाता है।

बड़ी इलायची के छिलके को कूटकर 125 ग्राम पानी में उबालकर पीने से हिचकियाँ बंद हो जाती है।

बड़ी इलायची का काढ़ा बनाकर कुल्ला करना, दांतों और मसूढ़ों को लाभप्रद है। इसके छिलके को बतौर मंजन प्रयोग करने से मसूढ़े दृद्ध होते है।

मात्रा: छोटी इलायची की मात्रा है 1 माशा से 3  माशा तक। (1 माशा=0.97 ग्राम) 

सूचना: छोटी इलायची (Elaichi) छाती, आंतों और फेफड़ों के लिये हानिकारक है।  

Read more:





Previous Post
Next Post

0 टिप्पणियाँ: