रविवार, 10 नवंबर 2019

काली मिर्च के फायदे / Black Pepper Benefits


काली मिर्च (Black Pepper) की लता होती है। इस पर गुच्छों में फल लगते है। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के होते है और पकने पर लाल रंग के होते है और सूखने पर काले रंग के हो जाते है।

काली मिर्च (Black Pepper) अग्निदीपक, कफ तथा वायु को शमन करनेवाली, उष्णवीर्य, पित्तकारक तथा श्वास, शूल और कृमिनाशक है। यह रुके हुए कफ को निकालने वाली, ह्रदयरोग, प्रमेह और बवासीर का नाश करनेवाली है। काली मिर्च  को मात्रापूर्वक सेवन करने से ह्रदय, वृक्क (Kidney), मूत्रपथ तथा आंतों की श्लेष्मधराकला (चिकनी त्वचा) को उत्तेजना मिलती है। अतिमात्रा में सेवन करने पर पेट दर्द, उल्टी, मूत्राशय व मूत्रस्त्रोतों में उत्तेजना पैदा करती है।  

काली मिर्च (Kali Mirch) का आयुर्वेदिक दवाओं में बहुत उपयोग होता है। यह आमाशय (Stomach) को उत्तेजना देनेवाली, रुके हुए मल को तोड़नेवाली और कफ को बहानेवाली है। यह कफ को पतला करती है और पेट में कृमि नहीं होने देती।

काली मिर्च (Kali Mirch) भूख लगाती है और अन्न को पचाती है। काली मिर्च  तीक्ष्ण होने से लाला रस का स्त्राव बढ़ाती है इस लिये यह रुचिकारक है। रुक्ष होने के कारण यह अत्यंत कफहर (कफनाशक) गुण रखती है।

आयुर्वेदीक औषधियों में काली मिर्च को मिलाने के कारण:  

Yअग्निदिपक और अन्न को पाचन करने के लिये। सुप्रसिद्ध योग त्रिकटु (सोंठ, काली मिर्च  और पीपर) का यह एक भाग है।

Yकफ नाशक (कफ को पतला कर बहाने के लिये)

Yखांसी को कम करने के लिये (प्रसिद्ध औषधि मरीचादि वटी में काली मिर्च  का योग है, काली मिर्च  फुफ्फुस आदि में उत्पन्न कफ को बाहर निकालकर खांसी को कम करनेवाली औषधियों में से एक है)

Yवातनाशक

Yपेट की गॅस को नाश करने के लिये (कोई भी सुगंधीत औषधि पेट की गॅस को नाश करती है, सुगंधित द्रव्य की अधिक जानकारी के लिये सौंफ के आर्टिकल में पढ़ें)

Yकृमिनाशक (विडंगारिष्ट)

Yह्रदय और मूत्रपिंड को उत्तेजना देने के लिये

Yरुके हुए मल को तोड़ने के लिये

मात्रा: अधिक से अधिक 0.97 ग्राम।

काली मिर्च के घरेलू नुस्खे:

1) खांसी पर – काली मिर्च  के चूर्ण को घी, शहद और मिश्री के साथ चाटने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है।

2) प्रवाहिका में – काली मिर्च  का बारीक चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से प्रवाहिका नष्ट होती है।

3) खाये हुए घी को पचाने के लिये – काली मिर्च  का चूर्ण सेवन करना चाहिये।

4) सब प्रकार की पीनस (जुकाम सड़कर नाक में कीड़े पड़ना) में – काली मिर्च और गुड को दही के साथ खाना चाहिये इससे पीनस में शांति होती है।

5) ज्वर (बुखार) उतारने के लिये – काली मिर्च  का चूर्ण गर्म जल के साथ देने से या काली मिर्च  का क्वाथ या मरिच (काली मिर्च ) तुलसी पत्र का क्वाथ देने से पसीना आकार विषम ज्वर उतार जाता है।

6) दो ग्राम पिसी हुई काली मिर्च को फांककर ऊपर से नीबू का रस मिले गरम जल को पानी से सायंकाल और रात को 10-12 दिन तक निरंतर पिये। पेट में गॅस बनने का रोग नष्ट हो जाता है।

7) गरम दूध में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर अथवा काली मिर्च मिलाई हुई गरम चाय पीने से नया जुकाम ठीक हो जाता है।

8) 20 काली मिर्च गुलाब जल में पीसकर रात को चेहरे पर लगाकर प्रातःकाल गरम पानी से धोने से कील, मुँहासे, झुर्रीया साफ होकर चेहरा चमकने लगता है।

9) 30 ग्राम मक्खन से 8 काली मिर्च और शक्कर मिलाकर नित्य प्रति चाटने से स्मरणशक्ति बढ़ जाती है। मस्तिष्क में तरावट आती है तथा कमजोरी भी दूर होती है।

10) काली मिर्च, सैंधा नमक, जीरा, सोंठ, सभी समभाग लेकर चूर्ण बनाकर मधु में मिलाकर 3 से 6 माशा (1 माशा=0.97 ग्राम) तक दिन भर में 2-3 बार चाटने से संग्रहणी, बवासीर, गुल्म (पेट की गांठ) इत्यादि समस्त रोग नष्ट हो जाते है।

11) काली मिर्च 5-7 दानें, अजवायन 2 माशा, तुलसी 1 तोला (1 तोला=11.66 ग्राम) को पीसकर 10 तोला जल में क्वाथ बनाकर 5 तोला जल शेष रह जाने पर छानकर सुबह-शाम पीने से मलेरिया बुखार नष्ट हो जाता है।

Read more:




Previous Post
Next Post

0 टिप्पणियाँ: