अर्जुन धृत (Arjun Ghrita) ह्रदय रोग की एक उत्तम औषधि है। इस औषध
में अर्जुन की छाल और धृत यह दो औषध होते है। अर्जुन शीतल, बलदायक और ह्रदय की एक प्रसिद्ध औषधि है। घी योगवाही
(अर्जुन के गुणों में वृद्धि करता है), बल्य और वात-पित्त नाशक है। स्वभावतः यह अर्जुन
धृत शक्तिवर्धक है। धृत और अर्जुन की छाल का योग वात-पित्त नाशक, ह्रदय पोषक, महाधमनी आदि ह्रदय के रोगों को नाश
करनेवाला है। इसके सेवन से दुर्बल शिथिल ह्रदय में शक्ति का संचार होता है तथा
ह्रदय के रोगों का नाश होता है। ह्रदय रोग से शीर्णशरीर वालो के लिये इस अर्जुन
धृत (Arjun Ghrita) का सेवन बहुत प्रशस्त है। सिर्फ अर्जुन
की छाल का काढ़ा भी ह्रदय रोगी के लिये अमृत समान है,
फिर यह तो अर्जुन की छाल से सिद्ध किया हुआ धृत है!
मात्रा: 10 से 12
ग्राम सुबह-शाम उष्ण दूध या उष्ण जल के साथ।
अर्जुन धृत बनाने
की विधि (Arjun
Ghrita Ingredients):
1 सेर धृत को 4
सेर अर्जुनवृक्ष की छाल के क्वाथ या रस में पकाते हुए उस में ¼ सेर अर्जुन की छाल का कल्क डाले और पाक सिद्धि होने
पर प्रयोगार्थ सुरक्षित रक्खे।
Ref: भैषज्य रत्नावली
Arjun
Ghrita is heart tonic. It is useful in heart diseasses.
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