लक्ष्मी विलास रस (Laxmi Vilas Ras) के सेवन
से भयंकर सन्निपात, वातज और पित्तज रोग, 18 प्रकार के कुष्ठ, 20 प्रकार के प्रमेह, नाडीव्रण (Sinus, Fistula), दुष्टव्रण
(Excoriation), अर्श (बवासीर), भगन्दर तथा
रक्तगत, मांसगत, मेदोगत, धातुगत, पुरातन या वंशानुगत कफ-वातज श्लीपद
(हाथिपगा), गलशोथ, अन्त्रवृद्धि,
दारुण अतिसार (Diarrhoea), आमवात (Rheumatism),
जिहास्तम्भ, गलग्रह (गला बैठना), उदररोग (पेट के रोग), कर्णविकार, नासाविकृति, मुखविकृति, कास
(खांसी), पीनस, राजयक्ष्मा, स्थूलता, दुर्गन्ध, समस्तविध
शूल, शिरदर्द और स्त्री रोगो का नाश होता है।
लक्ष्मी विलास रस (Laxmi Vilas Ras) के सेवन
से वृद्ध पुरुष कामदेव के समान रूपवान् और तरुणस्पर्धी हो जाता है। इसके प्रभाव से
न तो क्षय होता है न लिंग शैथिल्य ही और ना ही केश सुफेद होते है।
इस रस के सेवन से दृष्टि शक्ति अत्यन्त बढजाती है और
कामशक्ति इतनी प्रबल हो जाती है कि मनुष्य बहुत सी स्त्रियों से मदमस्त हाथी के
समान समागम कर सकता है।
लक्ष्मी विलास रस (Laxmi Vilas Ras) शोधक, रोचक, आमशोषक (आम=अपक्व अन्न रस जो एक प्रकार का
विष बन जाता है और शरीर में रोग पैदा करता है), कफनाशक, दोषानुलोमक, निद्राकर, बस्ति
(मूत्राशय) शोधक, विशेषतः वातस्थानगत कफनाशक और मेद (Obesity) नाशक है।
जिन रोगो मे इसको प्रयोग मे लाने को लिखा गया है
अधिकतर वे कफ विशिष्ट रोग है अतः उन सभी रोगो में यह निश्शंक प्रशस्त लाभ करती है।
इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग ऐसे रक्तचाप की वृद्धि (High Blood Pressure) में कि जो कफज हो, किया जाता है अर्थात् आमाशय (Stomach) के दोपों के कारण जहां रक्तचाप की वृद्धि हुई हो और शरीर शिथिल, मेदसी हो वहां यह औषध अत्यन्त लाभप्रद होती है। प्रातः सायं 1-1 गोली गरम
पानी के साथ मिलाकर पिलाने से, पुराना शिरोरोग, नजला, आंखो की कमजोरी, कानो की
कमजोरी, फुफ्फुसावर्ण प्रदाह आदि रोगों में सफलता पूर्वक काम
करती है।
मात्रा: 1-1 गोली प्रतिदिन प्रातः काल पानी के साथ।
जिन मनुष्यों की नाड़ी तेज चलती है, उनको यह दवा अनुकूल नहीं
आती। जिनकी नाड़ी मंद चलती है उनको बहुत अनुकूल रहती है। इस रसायन से कभी कभी किसीको नाड़ी वेग अति बढ़ जाता है। ऐसा होने पर स्वर्ण माक्षिक भस्म का सेवन करना चाहिये।
लक्ष्मी विलास रस घटक द्रव्य तथा निर्माण विधान (Laxmi Vilas
Ras Ingredients): कृष्णाभ्रकभस्म 5 तोले, शुद्ध
गन्धक, शुद्ध पारद 2.5-2.5 तोले,
कपूर, जावित्री, जायफल,
विधारे के बीज, भांग के बीज, विदारीकन्द, शतावर, नागवला
(गंगेरन), अतिवला (कंधी), गोखरू के फल
और हिज्जल बीज 1.25-1.25 तोला लें। प्रथम पारे और गन्धक की कजली बनावें और फिर
उसमे अन्य औषधियो का बारीक चूर्ण मिलाकर सबको पान के रसमे घोटकर (शास्त्रोक्त 3-3
रत्ती) 2-2 रत्ती की गोलियां बनाले। (1 रत्ती=121.5 mg)
Ref: भैषज्य रत्नावली, रसेन्द्र सार संग्रह, रस राज सुंदर, बृहत योग रत्नाकर
Laxmi Vilas Ras is useful in cough, skin diseases,
diarrhoea, rheumatism, diseases of the ear, nose and mouth, tuberculosis and
head ache. Laxmi Vilas Ras also acts as aphrodisiac.
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कोरोना संक्रमण होने पर होने वाली खाँसी में रामबाण दवा।
जवाब देंहटाएंPurush rog me Nadiya lakshmi vilas ras ya lakshmi vilas ras dono me se kon sa le sir
जवाब देंहटाएंPurso rog me Nadiya lakshmi vilas ras ya lakshmi vilas ras dono me se kon sa le sir
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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