यह हिमसागर तेल (Himsagar
Oil) ऊंचे स्थानों से या घोडे, हाथी या ऊंट पर
से गिरने से उत्पन्न हुई वातज वेदना को नष्ट करता है, पत्थर
आदि पर पडने से लगी हुई चोट को मिटाता, पंगुता (दोनों पैर स्तंभित
होना), पीठ-सर्पिता, एकांग शोष (किसी
अंग का सूखना) और सर्वाङ्ग शोष में यह तेल हितकर है। क्षत, शुक्रक्षय
(शुक्र की कमी), राजयक्ष्मा, हनुस्तम्भ
(Lock Jaw), मन्यास्तम्भ (Cervical Spondylosis), निर्बलता, तुतलाना, मिनमिनाना,
दाह (जलन), क्षीणता (दुबलापन), वातविकार (Musculoskeletal Disorder), पित्तजरोग,
शिरोरोग और शाखाओ की व्याधियों में यह उत्तम क्रिया करता है।
हिमसागर तेल (Himsagar Oil) शरीर पोषक, नाडीदोष नाशक, रक्त परिभ्रमण सहायक, शोथनाशक (सूजन नाशक), मूत्रल, वातानुलोमक (वायु की गति को नीचे की तरफ करने वाला) तथा वेदना नाशक द्रव्यों के संयोग से निर्मित होता है, अतः इसके प्रयोग से शरीर के किसी भी भाग में मांस कण्डरा या नाडियों पर पतन, मार या वातज विकार के कारण वेदना हो तो इसकी मालिग से या इसके पान (पीने)
से शान्ति हो जाती है। ऐसी दशा में कि जब किन्हीं कारणो से शरीर सूख गया हो, यदि इस तेल का अन्तर्वाह्य (Internal and External)
प्रयोग किया जाय तो शरीर में मांस की वृद्धि होती है और शुष्कता नष्ट हो जाती है।
इसीप्रकार जब कभी नाडियो में वाताधिक्य या वातक्षय के कारण निष्क्रियता आ जाय और
किन्ही अंगों में जरता अथवा जडता के लक्षण प्रतीत होने लगे तब इस तेल का
अन्तर्वाह्य प्रयोग लाभप्रद सिद्ध होता है। जीभ के अटकने और कानों में रुक्षता आदि
विकारो मे यह तेल बहुत ही लाभप्रद सिद्ध होता है।
हिमसागर तेल
(Himsagar Oil) का प्रयोग शरीर को पुष्ट और निरोगी बनाता है। बचपन
से ही यदि इस तेल को प्रयोग में लाया जाय तो बालकों मे होनेवाले अधिकतर शोषादि
उपद्रव कभी न हो और बच्चे सदा सुपुष्ट रहे।
बाल पक्षाघात में इस तेल का अंतर्वाह्य प्रयोग लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
हिमसागर तेल घटक द्रव्य और निर्माण विधान
(Himsagar Oil Ingredients):
द्रव पदार्थ-शतावरी का रस २ सेर, विदारीकन्द का रस २ सेर, सफेद पेठे का रस २ सेर,
आमले का रस २ सेर, गोखरू का क्वाथ २ सेर,
नारियल का पानी २ सेर, केले का रस २ सेर और
दूध ८ सेर।
तिल का तेल-२ सेर।
कल्क द्रव्य: सफेद चन्दन, तगर, कूठ, मंजिष्ठा, सरल काष्ट, अगर, जटामांसी, मुरामांसी, शैलज (भूरी छरीला), मुल्हैठी, देवदारु,नखी, हैड, पूतिका (खट्टाशी-झुन्द बेदस्तर), हल्दी के पत्ते, कुन्दरु, नलिका, शतावरी, लोध्र, नागरमोथा, दालचीनी, इलायची, तेजपात, नागकेशर, लौंग, जावित्री, सौंफ, कचूर, लाल चन्दन, गठीवन और कपूर प्रत्येक द्रव्य १।-१। तोला लेकर कल्क वनावें।
उपरोक्त द्रव पदार्थ, तेल और कल्क द्रव्य को एकत्र मिलाकर मन्दाग्नि पर पकावे। जलीयांश उडने पर
तेल को उतार कर छानलें और ठण्डा होने पर उसे शीशियों में भरकर प्रयोगार्थ सुरक्षित
रक्खें।
Ref: भैषज्य रत्नावली
Himsagar Oil is useful in musculoskeletal disorder, lock jaw,
cervical spondylosis and physical debility.
Read more:
agar mool dravya 2 kg ke jagah 200 gm le to kitna sesamone(till oil) aur kitna Pani lena h
जवाब देंहटाएं