श्वास कास चिंतामणि रस (Shwas Kas Chintamani Ras) के सेवन से श्वास और कास (खांसी) का नाश होता है । रूक्ष (सूखे) गुण से प्रकुपित वायु कास नलिकाओ का अवरोध करके
उनमे आक्षेप उत्पन्न कर देती है । यदि ये आक्षेप सतत रहे तो प्राणवायु (Oxygen) श्वास यंत्र में प्रवेश नहीं कर सकती
जिससे फुफ्फुस की गति अप्राकृतिक होकर भयंकर श्वास उत्पन्न करती है। जब सामयिक
आक्षेप होता है तो वायु के प्रकोप के कारण श्वास भी सामयिक ही होता है । सतत वायु
के प्रभाव से रूक्ष हुये श्वास-कास तन्तुओं मे नीरसता होकर कर्कशता उत्पन्न हो
जाती है, और क्योंकि सभी श्वास वातप्रधान होते है अत: जितनी
कर्कशता बढती जाती है उतना वात रोग बढता जाता है, इस कर्कशता
को रोकने के लिये तन्तुओ मे मृदुता उन्पन्न करनी पडती है ।
श्वास कास चिंतामणि रस (Shwas Kas Chintamani Ras) के सेवन से तन्तुओ का पोषण होता है। कर्कशता दूर
होती है और विषैले वात के प्रभाव से उत्पन्न हुई फुफ्फुस की दुर्दशा इस स्निग्ध
द्रव्य के सेवन से धीरे धीरे दूर हो जाती है। पुष्ट श्वास यन्त्र प्राणवायु को भली
प्रकार खीच सकता है, धारण कर सकता
है और एकत्रित हुये दुष्ट वात को शक्तिपूर्वक बहार निकाल सकता है। श्वास कास चिंतामणि रस जीर्ण-शीर्ण श्वास
यन्त्र के पोषण के लिये उत्तम औषध है ।
मात्रा: 1-1 गोली । पीपल के चूर्ण और मधु के साथ।
श्वास कास चिंतामणि रस घटक द्रव्य तथा निर्माण विधान (Shwas Kas
Chintamani Ras Ingredients)-शुद्ध पारद, स्वर्णमाक्षिकभस्म
और स्वर्णभस्म 1-1 भाग, मोतीभस्म आधा भाग, शुद्ध गन्धक और अभ्रकभस्म 2-2 भाग तथा लोहभस्म 4 भाग लेकर प्रथम पारे और
गन्धक की कज्जली बनावे और फिर उसमे अन्य औषधियो का चूर्ण मिलाकर कटेली के रस,
बकरी के दूध, मुलैठी के काथ और पान के रस को 7-7
भावना देकर 2-2 रत्ती की गोलियां बनाले। (यदि इसी रस मे
स्वर्णभस्म आधा भाग डाल दी जाय और पान के स्थान मे अदरक की भावना दी जाय तो इसी का
नाम "श्वास चिन्तामणि" हो
जाता है) (1 रत्ती=121.5 mg)
Shwas
Kas Chintamani Ras is useful in asthma and cough.
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