मंगलवार, 27 अगस्त 2019

शिलाजीत वटी के फायदे / Shilajit Vati Benefits


शिलाजीत वटी (Shilajit Vati) का एक वर्ष तक सेवन करने से बहुत वर्षो का पुराना प्रबल और कठिन वातरक्त (Gout) भी नष्ट हो जाता है। इसके अतिरिक्त यह शिलाजीत वटी यक्ष्मा, आढ्यवात, बुखार, योनिदोष, शुक्रदोष, प्लीहा (Spleen), बवासीर, पांडु (Anaemia), ग्रहणी, उल्टी, गुल्म (Abdominal Lump), पीनस (Ozaena), हिचकी, खांसी, अरुचि, श्वास, जठर, स्वित्र (सफेद दाग), कुष्ठ (Skin Diseases), नपुंसकता, मद, उन्माद (Insanity), अपस्मार (Epilepsy), मुखरोग, नेत्ररोग, शिरोरोग, आनाह (अफरा), अतिसार (Diarrhoea), रक्तप्रदर, कामला (Jaundice), प्रमेह, यकृत (Liver), अर्बुद (Tumour-रसौली), विद्रधि, भगंदर, रक्तपित्त, अति स्थूलता, स्वेद (पसीना), श्लीपद (हाथीपगा), मूल विष और अनेक प्रकार के संयोगज विषों को भी नष्ट करती है।

इस शिलाजीत वटी (Shilajit Vati) के प्रयोग से शत्रुओ द्वारा प्रयुक्त हुये मन्त्रौषधि के दुष्ट प्रभाव नष्ट होते है तथा पाप (मानोविकार), अलक्ष्मी (प्रभाव शून्यता) का नाश होता है।

शिलाजीत वटी (Shilajit Vati) बल और कामशक्ति वर्धक, प्रशंसनीय कांति, यश और सन्मान की वृद्धि करनेवाली है। इसे मुख में धारण करने से विवाद में जय और राज सभा में आदर होता है। इसे एक वर्ष तक सेवन करते रहने से वलिपलित (बाल सफेद होना) और रोग रहित 200 वर्ष की आयु प्राप्त होती है। 2 वर्ष तक सेवन करने से 400 वर्ष की आयु प्राप्त होती है। यह सब शास्त्रों का कथन है, लेकिन इतना तो कह सकते है, कि आयु बढ़े या न बढ़े परंतु जब तक जीवित रहे तब तक निरोग रह सकते है।

शिलाजीत अप्रमेय औषध है। इसका कारण यह है कि इसमें रांग आदि सात, अर्थात त्रपु, सीस, ताम्र, रजत, कृष्ण लौह इत्यादि धातुओं का अभिन्न मिश्रण है। ये सभी औषधें तिक्त, कटु, कषाय रसवाली, सर और पाक में कटु और वीर्य में उष्ण है। इनके सूक्ष्मतम औषधि अंश शिलाजीत में मिश्रित होते है। यदि शिलाजीत को अकेले ही प्रयोग में लाया जाय तो मधुमेह (Diabetes) और उसके अन्य आनुषंगिक विकारों रहित शरीर बल, वर्ण की समृद्धि वाला बन जाता है। शिलाजीत को सेवन करनेवाला मनुष्य प्रमेह, कुष्ठ, अपस्मार, उन्माद, श्लीपद, विष, शोष, अर्श (बवासीर), गुल्म (Abdominal Lump), पांडु (Anaemia), विषमज्वर (Malaria) आदि रोगों से मुक्त रहता है और इस प्रकार के रोगियों को यह शिलाजीत दी जाय तो वे स्वास्थ्य लाभ करते है। अन्य औषधियों के योग से यह शिलाजीत वटी रसायन और वाजीकरण औषध शरीर के रस, रक्त, मेद, अस्थि, वीर्य, ओज आदि विकारों को नष्ट करनेवाली बन जाती है।

शिलाजीत वटी घटक द्रव्य तथा निर्माण विधान (Shilajit Vati Ingredients): शुद्ध शिलाजीत 80 तोला, सोंठ, आमला, पीपल और कालीमिर्च का चूर्ण 10-10 तोला, विदारीकन्द का चूर्ण 5 तोला, तालीसपत्र का चूर्ण 20 तोला, मिश्री 80 तोला, घी 40 तोला, शहद 80 तोला, तिलका तेल 20 तोले तथा वंशलोचन, तेजपात, दालचीनी, नागकेसर और इलायची का चूर्ण 2.5-2.5 तोला लेकर सबको एकत्र घोटकर 4-4 रत्ती की गोलियां बनाकर सुखाले और स्वच्छ काच पात्र में भरले। (1 रत्ती=121.5 mg; 1 तोला=11.66 ग्राम)

Ref: बृहत योग तरंगिनी

Shilajit Vati is useful in gout, fever, semen problem, piles, anaemia, abdominal lump, Ozaena, asthma, skin diseases, cough, hiccup, anorexia, impotency, insanity, jaundice and tumour. Shilajit Vati is anti-toxin and aphrodisiac.

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