शनिवार, 31 अगस्त 2019

नृपति वल्लभ रस के फायदे / Nripati Vallabh Ras Benefits


नृपति वल्लभ रस (Nripati Vallabh Ras) के सेवन से अग्निमांद्य, आमदोष (आम=अपक्व अन्न रस जो एक प्रकार का विष बन जाता है और शरीर में रोग पैदा करता है), विषुचिका (Cholera), प्लीहा (Spleen), गुल्म (Abdominal Lump), उदररोग (पेट के रोग), अप्टिला, यकृत् (Liver), पाण्डु (Anaemia), कामला, पृष्टशूल, पार्श्वशूल, कटिशूल (कमर दर्द), कुक्षिशूल, आनाह (अफारा), ८ प्रकार के शूल, कास (खांसी), श्वास, आमवात (Rheumatism), श्लीपद (हाथीपगा), शोथ (सूजन), अर्बुद (रसौली), गलगण्ड, गण्डमाला, अम्लपित्त (Acidity), गृध्रसी (Sciatica), कृमिरोग, कुष्ट, दाह (जलन), वातरक्त (Gout), भगन्दर, उपदंश, अतिसार (Diarrhoea), ग्रहणी, अर्श (बवासीर), प्रमेह, अश्मरी (पथरी), मूत्रकृच्छ (मूत्र में जलन), मूत्राघात (मूत्र की रुकावट), पुराना बुखार, पाण्डु (Anaemia), तन्द्रा, आलस्य, भ्रम (चक्कर), दाह, विद्रधि, हिक्का, जडता, गदगढता, मूकता, मूढता, स्वरभेद (गला बैठना), अण्डवृद्धि (Testicle Enlargement), अन्त्रवृद्धि, विसर्प, उरुस्तम्भ (कमर के नीचे का पक्षाघात), रक्तपित्त (नाक से या मुंह से खून निकलना), गुदभ्रंश, अरुचि, तृषा, कर्णरोग, नासारोग, मुखरोग, दन्तरोग, पीनस, शून्यवात, शीतपित्त, स्थावरादि विष (जहर) तथा वातज, पित्तज, कफज, द्वन्द्वज और सान्निपातिक अन्त्ररोग (Diseases of Intestine) नष्ट होते है । यह औषध बल, वर्ण को बढानेवाली, आयु और वीर्य को बढानेवाली, कामशक्ति को बढानेवाली, बुद्विवर्द्धक, शरीर मे पर्याप्त शक्ति उत्पन्न करके मनोरथसिद्ध करनेवाली है। स्वस्थ पुरुष इसका सेवन करे तो उसकी आयु बढती है और रोगी सेवन करे तो उसके रोग नष्ट होते है। इस रसका प्रयोग करने से मनुष्य बुद्धिमान होता है।

नृपति वल्लभ रस (Nripati Vallabh Ras) वस्तुत: पाचक, पोषक, अग्निवर्द्धक, वात, पित्त, कफ नाशक और शक्तिप्रद है। इस रस की मुख्य क्रिया अन्त्र (Intestine) को निरोग बनाने की है। यह संग्राही है, वातमोक्षण कगती है, अग्नि बढाती है और आमका शोपण करती है। इस प्रकार अपने गुणो द्वारा यह सभी प्रकार के उदररोगो को दूर करती है। भले ही वे एकदोषज हो, द्वदोपज हो अथवा सन्निपानज हो।

संग्रहणी में इस औषध का प्रयोग बहुत हितकर है और अन्त्र मे किसी भी प्रकार की विकृति अथवा रोग की पश्चात् अवस्था मे होनेवाले विकार अपने पाचक आदि गुणो के कारण यह नहीं होने देती।

उदर की शिथिलता, अजीर्ण, संग्रहणी आदि रोगो के अनेक अनुबन्धि रोग तथा भगन्दर, अर्श (बवासीर), आनाह, गुल्म, प्लीहा, यकृत, मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात आदि अनेक रोग तथा आमाशय (Stomach) मे वातावरोध के कारण होनेवाले रोग यथा हृच्छूल, पृष्टशूल, कटिशूल (कमर दर्द) आदि तथा क्षुद्रान्त मे वात प्रकोप के कारण होनेवाले पार्श्वगल आदि सम्पूर्ण विकारो को नष्ट करके यह औपध उनके सभी अनुवन्धियों का नाश करती है और जठराग्नि की प्रदीप्ति द्वारा रस रक्तादि की वृद्धि करके शरीर को पुष्ट, कान्तिमान और आयुष्मान करती है।

मात्रा: 1-1 गोली। जल अथवा यथादोषानुपान।

नृपति वल्लभ रस घटक द्रव्य और निर्माण विधि (Nripati Vallabh Ras Ingredients): जायफल, लौंग, इलायची, नागरमोथा, दालचीनी, सुहागे की खील, शुद्ध हींग, जीरा, तेजपात, अजवायन, सोंठ, सैंधानमक, लोहभस्म, अभ्रकभस्म, शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक और ताम्रभस्म। प्रत्येक को 1-1 पल (5-5 तोले) ले, तथा कालीमिर्च 2 पल ले । प्रथम पारे और गन्धक की कजली बनाले। तत्पश्चात् उसमे अन्य द्रव्यो का चूर्ण मिलाकर सबको 1 दिन पर्यन्त बकरी के दूध या आमले के रसमे घोटकर 1-1 रत्ती की गोलियां बनाले। (1 रत्ती =121.5 mg)

Ref: भैषज्य रत्नावली

Nripati Vallabh Ras is tonic and nutritious. It is useful in indigestion, cholera, abdominal lump, abdominal diseases, anaemia, acidity, sciatica, gout, diarrhoea, piles, stone, chronic fever, liver and spleen disorder, testicle enlargement and back pain. Nripati Vallabh Ras also delays old age and supports health.

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