नयनामृत लोह (Nayanamrit Loha) के सेवन से समस्त प्रकार के नेत्ररोग
नष्ट होते है। यह औषध रक्तवर्धक, शोधक (शरीर को शुद्ध करनेवाली), रोचक, पुष्टिकारक और वात-कफ नाशक है। नयनामृत
लोह के सेवन से यकृत (Liver) की क्रिया बढती है और दूषित पित्त का
संशोधन होकर पाचक, आलोचक,
व्यंजक आदि पित्तों का पोषण होता है।
पाचक पित्त अन्न
को पचाता है। आलोचक पित्त दोनों आँखों में रहता है,
इसी से जीव को दिखाई देता है। रंजक पित्त रंगने का काम करता है, यह यकृत (Liver) और प्लीहा (Spleen) में रहता है। यह खून बनाने का काम करता है।
नयनामृत लोह (Nayanamrit Loha) के सेवन से इन तीनों पित्त का पोषण होता
है, इस लिये आँखों की दृष्टि बढती है, खून बढ़ता है और पाचन क्रिया सुधर कर पूरा शरीर सुधार
जाता है।
मात्रा: 1-1 गोली
सुबह-शाम। शहद अथवा दूध के साथ।
नयनामृत लोह घटक
द्रव्य और निर्माण विधि
(Nayanamrit Loha Ingredients):
सोंठ, मिर्च,
पीपल, हरड़,
बहेड़ा, आमला,
काकड़ासिंगी, कचूर,
रास्ना, अतीस,
मुनक्का, नीलकमल,
मुलैठी, कंधी,
नागकेसर, छोटी कटेली और बड़ी कटेली का चूर्ण 1-1
भाग, लौह भस्म 9 भाग और अभ्रक भस्म 9 भाग सबको
एकत्र मिलाकर 1-1 दिन त्रिफला के क्वाथ, तिल के तेल और भांगरे के रस में घोटकर
1-1 रत्ती की गोलियां बनालें। (1 रत्ती = 121.5 mg)
Ref: रसेन्द्र सार संग्रह
Nayanamrit
Loha is useful in eye diseases.
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