कृमिमुद्गर रस (Krimi Mudgar Ras) को 3 रत्ती की मात्रानुसार शहद में
मिलाकर चाटे और ऊपर से नागरमोथा का क्वाथ पिये। इसे 3 दिन तक सेवन करने से कृमि और
उनसे उत्पन्न होनेवाले रोग नष्ट होते है तथा अग्नि प्रदीप्त होती है।
कृमिमुद्गर रस (Krimi Mudgar Ras) कृमि,
खांसी और आम (अपक्व अन्न रस जो शरीर में रोग पैदा करताफ है) नाशक तो है ही, इनके अतिरिक्त यह अंत्र (Intestine) के आक्षेप को नाश करने में बहुत ही उपयुक्त है।
पुराने मल के अंत्र में पड़े रहने से अंत्र मोड़ो पर जो क्षोभ (Irritation) द्वारा वायु उत्पन्न होती है, उसको स्थानभ्रष्ट करने और धीरे धीरे अंत्र मोड़ो को
सक्रिय करने में इस की क्रिया बहुत ही लाभप्रद होती है।
मात्रा: 3 रत्ती
(1 रत्ती = 121.5 mg) शहद में मिलाकर चाटे और ऊपर से नागरमोथा
का क्वाथ पिये।
कृमिमुद्गर रस
घटक द्रव्य और निर्माण विधि
(Krimi Mudgar Ras Ingredients):
शुद्ध पारा 1 भाग, शुद्ध गंधक 2 भाग, अजमोद 3 भाग, वायविडंग 4 भाग, शुद्ध कुचला 5 भाग और ढाक के बीज 6 भाग लें। सबका
एकत्र चूर्ण बनालें।
Ref: रस राज सुंदर
Krimi
Mudgar Ras Destroys worms.
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