जवाहर मोहरा रस (Jawahar Mohra Ras) ह्रदय को बल देनेवाला उत्तम योग है। दिल
की घबराहट, ह्रदय की धड़कन, ह्रदय की दुर्बलता के कारण थोड़ा सा चलने पर दम भरजना
आदि लक्षणों में इससे अच्छा लाभ होता है।
जवाहर मोहरा रस (Jawahar Mohra Ras) सौम्य,
पौष्टिक, ह्रद्य (ह्रदय को बल देने वाला), बल्य, वात-पित्तशामक तथा दाह (जलन) नाशक, शरीर पोषक और रसायन है।
दिर्धकाल के
प्रयोग से शरीर के अंगो में आई हुई शिथिलता के कारण जो शरीर में दौर्बल्य हो जाता
है वह इसके सेवन से शीघ्र नष्ट हो जाता है तथा शरीर में कोमलता, स्निग्धता, चपलता और प्रफुल्लता आदि और यौन कालीन
गुणों में वृद्धि हो जाती है। शरीर के पोषण के लिये तथा पित्त और वात प्रकोप को
दूर करने के लिये यह औषध प्रशस्त है।
मात्रा: 1-1
गोली। दिन में 2-3 बार शहद या खमीरे गावजबान में मिलाकर चटावे और ऊपर से दूध या
केवडे, वेदमुश्क का काढ़ा अथवा गावजबान के फूलों
का अर्क पिलावे।
जवाहर मोहरा रस
घटक द्रव्य और निर्माण विधि
(Jawahar Mohra Ras Ingrediets):
जवाहरपिष्टी 2 तोला, पन्नापिष्टी 2 तोला, मुक्तापिष्टी 2 तोला,
प्रवालपिष्टी 2 तोला, संगयशबपिष्टी 4 तोला, कहेरुवा की पिष्टी 2 तोला, चांदी के वर्क 1 तोला,
सोने के वर्क 2 तोला, दरियाई नारियल का चूर्ण 4 तोला, रेशम कतरा हुआ 2 तोला,
मृगशृंग भस्म 4 तोला, जदवार (निर्विषी) का चूर्ण 2 तोला, कस्तुरी 1 तोला और अंबर 2 तोला लें। न घिसनेवाले
अच्छे पत्थर के खरल में सब पिष्टीयां और चूर्ण डाले,
उसमें सोने और चांदी के वर्क 1-1 करके डाले, औषध को मर्दन करते जाय और वर्क मिलाते
जाय। इस प्रकार क्रमशः 1-1 वर्क डाले। जब सब वर्क मिलजाय तब उसमें उत्तम अर्क
गुलाब थोड़ा थोड़ा डालकर 14 दिन मर्दन करें। पंद्रह दिन उसमें कस्तूरी और अंबर
मिलाकर फिर 1 दिन गुलाब के अर्क में मर्दन करें और तैयार होने पर 1-1 रत्ती की
गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर शीशी में भरकर सुरक्षित रक्खे। (1 रत्ती = 121.5 mg)
Ref: सिद्ध योग संग्रह
Jawahar
Mohra Ras is heart tonic. It is also rejuvenative, nutritious and strengthens
the body.
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