रविवार, 11 अगस्त 2019

जलोदरारि रस के फायदे / Jalodarari Ras Benefits


जलोदरारि रस (Jalodarari Ras) के सेवन से विरेचन होकर जलोदर रोग (Ascites) नष्ट होता है। यदि दस्त बंद न हो और बंद करने की आवश्यकता हो तो दही-भात खिलाना चाहिये। अन्यथा आम (अपक्व अन्न रस जो शरीर में रोग पैदा करता है) के पश्चात मूंग का यूष और भात खिलाना चाहिये।

जलोदरारि रस (Jalodarari Ras) तीव्र विरेचक औषध है और पेट में मरोड लाकर के दस्त लाता है। यदि वेदना अधिक होती हो तो गर्म जल द्वारा सेक करनी चाहिये।

मात्रा: 2 से 4 रत्ती (1 रत्ती = 121.5 mg)। जल के साथ। (शास्त्रोक्त मात्रा 5 माशा) (1 माशा = 0.97 ग्राम)

जलोदरारि रस घटक द्रव्य (Jalodarari Ras Ingredients): पीपल, ताम्र भस्म और हल्दी का चूर्ण 1-1 भाग तथा शुद्ध जमालगोटा सबके बराबर। भावना: थोहर (सेहुड) का दूध।

Ref: योग रत्नाकर, रस राज सुंदर

Jalodarari Ras is useful in ascites.

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