गजकेशरी रस (Gajkesari Ras) के सेवन से सब प्रकार के असाध्य
(कष्टसाध्य) शूल
(Colic) भी नष्ट हो जाते है। यह
सद्यः क्रियाकर योग है। गजकेशरी रस अंत्र (Intestine) की कलाओ (Membrane),
पेशियों, ग्रंथियों और वात नाड़ियों (धमनियों) को, पेट में प्रवेश करते ही, सक्रिय कर देता है और दोषों के किन्ही भी कारणो से
होनेवाले शूल का नाश करता है। यह ह्रद्य (ह्रदय को बल देनेवाला) है। छाती के दर्द
में भी समान लाभप्रद सिद्ध होता है।
मात्रा: 2 रत्ती
पान में रखकर। ऊपर से हींग, सोंठ,
कालीमिर्च, जीरा तथा वच का समभाग मिश्रित 1.25 तोला
चूर्ण उष्ण जल के साथ सेवन करना चाहिये। (1 रत्ती = 121.5 mg, 1 तोला = 11.66 ग्राम)
गजकेशरी रस घटक
द्रव्य और निर्माण विधि
(Gajkesari Ras Ingredients):
1 भाग शुद्ध पारद और 2 भाग शुद्ध गंधक लेकर एक प्रहर तक भालिभांति खरल करें। इस
कज्जली को इसके ही समभाग वजनी ताम्र संपुट में बंद करके उसे मिट्टी के शराबों में
ऊपर नीचे सैंधा नमक का चूर्ण रखकर बंद करदे और कपड़ मिट्टी करके सूखने के बाद गजपुट
में फूंक दे। स्वांगशीतल होने पर बाहर निकालकर ताम्र के संपुट (प्यालियो) सहित खरल
कर लें। कोई भी पारद वाली दवा घर पर बनाने का प्रयास न करें। यह सिर्फ जानकारी के लिये
लिखा है।
Ref: बृहत निघंटु रत्नाकर
Gajkesari
Ras is useful in any type of colic.
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