शनिवार, 31 अगस्त 2019

बिल्वासव के फायदे / Bilvasava Benefits


बिल्वासव (Bilvasava) पुरातन संग्रहणी, अतिसार, आमदोष (अपक्व अन्न रस जो एक प्रकार का विष बन जाता है और शरीर में रोग पैदा करता है), अन्त्र (Intestine) शैथिल्य, आमाजीर्ण (आम के कारण उत्पन्न अजीर्ण) आदि के लिए उपयोगी है।

विल्व की अपक्व मज्जा शोषक है। इसका प्रयोग पुरातन संग्रहणी, प्रवाहिका, आमसंग्रह आदि मे किया जाता है। ऐसी अपक्व मजा से निर्मित बिल्वासव शिथिल अन्त्र को पुष्टि द्वारा सक्रिय करती है, आमदोष का नाश करती है, पाचन शक्ति को बढाती है और ग्रहणी (Duodenum) दोष की सभी अवस्थाओं मे प्रयोग मे लाई जाती है।

मात्रा: 1.5 से 2.5 तोला भोजन के बाद समान पानी मिलाकर। अधिकांश आसव-अरिष्ट 10 ml से 20 ml की मात्रा में समान पानी मिलाकर प्रयोग किये जाते है। (1 तोला=11.66 ग्राम)

बिल्वासव घटक द्रव्य तथा निर्माण विधान (Bilvasava Ingredients): अपक्क बिल्व फल की मज्जा १२॥ सेर लेकर २०० सेर पानी मे उबाले। जब उबलते २ चतुर्थांश अर्थात ५० सेर रह जाय तब उसे उतारकर छान ले और एक स्वच्छ, गंध धूपित तथा घृत लिप्त मटके मे भरले। इस क्वाथ में १८॥ सेर गुड, धाय के फूलों का चूर्ण २॥ सेर, नागकेशर १ सेर, कालीमिर्च ०॥ सेर, लौंग ०॥ सेर और कर्पूर १० तोला डाले। मटके को हिलाकर सबको भलीभांति क्वाथ मे मिलादे तथा मटके का मुख कपडमिट्टी से बंद करके उसे गढे मे दवादे। १ मास पश्चात निकालकर औषध को छानकर प्रयोग मे लावे।

Bilvasava is useful in sprue, diarrhoea, sluggishness of intestines and duodenum problem.

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