अमृतप्राश अवलेह (Amritprash Avaleha) के सेवन से रक्तपित्त (मुंह से, नाक से खून गिरना),
क्षय (Tuberculosis), श्वास,
अरुचि, खांसी,
तृष्णा, उल्टी,
हिक्का, मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) तथा बुखार का
नाश होता है और बल तथा कामशक्ति बढ़ती है।
अमृतप्राश अवलेह दाह
(जलन) नाशक, रक्त शोधक (खून को शुद्ध करनेवाला), कफ, अरुचि,
वात, आम (अपक्व अन्न राज जो एक प्रकार का विष
है और शरीर में रोग पैदा करता है) आदि विकारों का नाश करने वाला और वाजीकरण है।
इसके सेवन से शरीर के दोष दूर होते है तथा विकार नष्ट होकर रक्त की वृद्धि होती
है।
मात्रा: 10-10
ग्राम सुबह-शाम।
अमृतप्राश अवलेह
घटक द्रव्य
(Amritprash Avaleha Ingredients):
दूध, आमले का रस, विदारी कंद का रस,
गन्ने का रस, पंचक्षिरियों का रस या क्वाथ और घी।
प्रत्येक द्रव्य 1-1 सेर। मधुरादि गण, दाख,
लाल चन्दन, सफेद चन्दन, खस, चीनी,
नीलकमल, कमल,
महुवे के फूल, अनंत मूल,
खंभारी और पंचशर (शर, ईख, कास,
दर्भ, शालीमूल) का कल्क 1.25-1.25 तोला। मधु 1
सेर, चीनी 6.25 सेर, दालचीनी, इलायची,
तेजपात और नागकेशर 2.5-2.5 तोला।
Ref: बृहत निघंटु रत्नाकर
Amritprash
Avaleha is useful in tuberculosis, asthma, cough, anorexia, hiccup, urine
irritation and fever. Amritprash Avaleha is also aphrodisiac and blood
purifier.
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