संजीवनी वटी (Sajivani Vati) के सेवन से अजीर्ण, गुल्म (Abdominal Lump), विषूचिका (Cholera), सर्पदंश और सन्निपात नष्ट होते है। संजीवनी वटी
मृतप्राय गुल्म, विषूचिका,
उपदंश (Syphilis) और सन्निपात के रोगी को भी लाभ देती है।
यह औषध विषनाशक, त्रिदोषशामक (कफ, पित्त और वात शामक),
आम (अपक्व अन्न रस जो शरीर में रोग पैदा करता है)नाशक और दोषानुलोमक है। इनका
शास्त्रोक्त सेवन क्रम अजीर्ण और गुल्म में 1,
विषूचिका में 2, सर्पदंश में 3 और सन्निपात में 4 गोली
देने का है।
आधुनिक मानव शरीर
नित्य अनेक प्रकार की विषैली
(Toxic) औषधों को सेवन करके विष
सात्म्य हो गये है। अतः मात्रा अधिक देने में विशेष चिंता नहीं है। रोगी के बल और
काल आदि का ध्यान रखना आवश्यक है। इस औषध में वच्छनाग होने से संभालकर इसका प्रयोग
करें। जिन लोगों को ह्रदय की तकलीफ हो उनको न दें। बच्चों को न दें।
मात्रा: 1 से 4
गोली तक। अदरक के रस के साथ।
संजीवनी वटी घटक
द्रव्य और निर्माण विधि
(Sanjivani Vati Ingredients):
वायविडंग, सोंठ,
पीपल, आमला,
बहेड़ा, वच, गिलोय,
भिलावा और शुद्ध वच्छनाग। प्रत्येक द्रव्य का सूक्ष्म चूर्ण समान भाग लें। सबको
एकत्र घोटकर गोमूत्र के साथ खरल करके 1-1 रत्ती (1 रत्ती=121.5 mg) की गोलियां बनालें।
Ref: बृहत योग तरंगिनी
Sanjivani
Vati is useful in indigestion, abdominal lump, cholera, snake bite and fever.
It is anti-toxin, balances three doshas and destroys toxin generated within the
body due to weak digestion.
Read
more:
0 टिप्पणियाँ: