शनिवार, 13 जुलाई 2019

पंचतिक्तधृत गुग्गुल के फायदे / Panchatikta Ghrita Guggulu Benefits


पंचतिक्तधृत गुग्गुल (Panchatikta Ghrita Guggulu) के सेवन से संधि, अस्थि (हड्डी) और मज्जागत, कष्टसाध्य प्रबल वायु, कुष्ठ (Skin Diseases), नाड़ीव्रण (Sinus), अर्बुद (Tumour), भगंदर, गंडमाला (Scrofula), ऊर्ध्वजत्रुगत समस्त रोग, गुल्म (Abdominal lump), बवासीर, प्रमेह, यक्ष्मा, अरुचि, श्वास, खांसी, पीनस (Ozaena), शोष, ह्रदयरोग, पांडु, गलविद्रधि और वातरक्त (Gout) का नाश होता है।

यह पंचतिक्तधृत गुग्गुल उष्ण, वातानुलोमक (वायु की गति नीचे की तरफ करनेवाला) और वातशामक है। वायु रुक्ष, शीत, लघु, सूक्ष्म, चल, विशद, खर गुणवाला है। वात द्वारा उत्पन्न होनेवाले रोग में इसी प्रकार के लक्षण होते है। वायु सर्व शरीरचारी है याने पूरे शरीर में घूमता है। इन गुणों से वह सभी स्थानों को दूषित कर सकता है। अस्थि में प्रकुपित हो तो अस्थिवात, जिससे अस्थि में सूजन, शरीर की कृशता और अस्थिवेदना आदि उत्पन्न होने लगते है। मज्जा में प्रकुपित हो तो विषाद, मस्तिष्क क्षीणता, शोष और क्षय आदि उत्पन्न कर सकता है। रस, रक्त, वीर्य आदि में प्रकुपित हो तो उनके उत्पादक यंत्रो का नाश करता है। यथा रस में प्रकुपित होने पर सम्पूर्ण पाचन संस्थान को दूषित करता है, अर्श, भगंदर आदि की उत्पत्ति कर देता है। यदि रक्त में प्रकुपित हो तो ह्रदय, फुफ्फुस, श्वास प्रणाली, कास नलिका आदि का संकोच, आक्षेप, श्वास, खांसी, ह्रदयरोग, पीनस आदि उत्पन्न कर देता है। मेद में प्रकुपित हो तो ग्रंथि, अर्बुद, पांडु, विद्रधि इत्यादि उत्पन्न करता है। यह औषध वात के उपरोक्त सभी गुणों के विरुद्ध क्रिया करती है अतः जिन जिन स्थानों में वात उपरोक्त गुणों द्वारा प्रकुपित हो और रोग वात विशिष्ट हो तो इसके सेवन से उन रोगों का नाश हो जाता है।

मात्रा: ¼ तोले से 1 तोले तक। 1 से 2 गोली सुबह-शाम।

पंचतिक्तधृत गुग्गुल घटक द्रव्य और निर्माण विधि (Panchatikta Ghrita Guggulu Ingredients): नीम की छाल, गिलोय, वासा, पटोल और कटेली प्रत्येक 10-10 पल (50-50 तोले) लेकर एकत्र अधकुटा करें और 32 सेर पानी में पकावें। जब 4 सेर पानी शेष रह जाय तब उसे छानले और एक पोटली में 25 तोले शुद्ध गुग्गुल बांधकर इस क्वाथ में डाल दें और क्वाथ को उबालते रखते हुये उसमें 2 सेर घी और निम्नलिखित औषधियों का कल्क मिलावें। जब जल निःशेष रह जाय तो धृत को छान ले और उसमें पोटलीवाला गुग्गुल भालिभांति मिश्रित करें और शीशी में भरकर रखलें।

कल्क द्रव्य: पाठा, वायविडंग, इन्द्रजौ, देवदारु, गजपीपल, जावाखार, सोंठ, हल्दी, सोया, चव, कूठ, मालकंगनी, कालीमिर्च, जीरा, चीता, कुटकी, शुद्ध भीलावा, वच, पिपलामूल, मजीठ, अतीस, हरड़, बहेड़ा, आमला और अजवायन प्रत्येक 1.25-1.25 तोला।

Ref: भैषज्य रत्नावली 

Panchatikta Ghrita Guggulu is useful in vitiation of vata (wind). It cures joint pain, pain in muscles, pain in any part of the body. Panchatikta ghrita guggulu also cures skin diseases, tumour, fistula et ano, abdominal lump, heat diseases, anaemia, piles, anorexia, asthma, cough and gout.     

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