रविवार, 14 जुलाई 2019

दाडिमाष्टक चूर्ण के फायदे / Dadimashtaka Churna


दाडिमाष्टक चूर्ण (Dadimashtaka Churna) के सेवन से आमातिसार (Diarrhoea), खांसी, ह्रदय और पार्श्वशूल, ह्रदय रोग, गुल्म (Abdominal Lump), ग्रहणी और मंदाग्नि का नाश होता है।

दाडिमाष्टक चूर्ण पाचक, दीपक, आम (अपक्व अन्न रस) पाचक, रुचिकर, आक्षेपनाशक, वातानुलोमक (वायु की गति नीचे की तरफ करने वाला) और अंत्र (Intestine) दौर्बल्य नाशक है। इसके सेवन से पुराना अजीर्ण नष्ट होता है। अंत्र की शिथिलता नष्ट होती है। अग्नि प्रदीप्त होती है। 2-2, 4-4 दिन पश्चात होनेवाले आमसंग्रह के कारण अतिसार और प्रवाहिका इसके सेवन से नष्ट होते है।

मात्रा: 1 से 4 ग्राम। उष्ण जल, छाछ, मधु और जल के साथ। सुबह-शाम।

दाडिमाष्टक चूर्ण बनाने की विधि (Dadimashtaka Churna Ingredients): अनारदाना 40 तोले, चतुर्जात (दालचीनी, इलायची, तेजपात, नागकेशर) 10 तोले, जीरा और धनिया 2.5-2.5 तोले, त्रिकटु और पिपलामूल प्रत्येक 5-5 तोले, वंशलोचन और सुगंधवाला 1.25-1.25 तोले और खांड 40 तोले लें। प्रत्येक द्रव्य के सूक्ष्म चूर्ण को यथा मात्रा लेकर सबको एकत्रित खरल करें और प्रयोगार्थ सुरक्षित रक्खें।

Ref: बृहन्निघंटु रत्नाकर।

Dadimashtaka Churna is useful in diarrhoea, cough, pain in chest, heart diseases, abdominal lump, sprue and indigestion.

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