अर्शोघ्नी वटी (Arshoghni Vati) के सेवन से सूखे और खूनी (रक्तार्श)
दोनों प्रकार के अर्श (बवासीर) में लाभ होता है। पित्त प्रकृति वालों को अर्शकुठार
रस अनुकूल नहीं आता। उनके लिये यह एक उत्तम अर्शनाशक औषध है। अर्शोघ्नी वटी के
सेवन के साथ-साथ कासीसादि तेल का भी प्रयोग अर्श के मस्से पर लगाने के लिये किया
जाय तो बहुत जल्दी फायदा मिलता है।
मात्रा: 2-2 गोली
दिन में 3-4 बार ठंडे जल से दें।
अर्शोघ्नी वटी
घटक द्रव्य और निर्माण विधि
(Arshoghni Vati Ingredients):
निंबौली (नीम के फल की मींगी) 2 तोला, बकायन की फली की मींगी 2 तोला, खून खराबा 2 तोला,
तृणकान्त की अर्कगुलाब या चन्दनादि अर्क से बनाई हुई पिष्टी 1 भाग और शुद्ध रसौत
(दारूहल्दी का घन) 6 भाग लें। प्रथम निबौली और बकायन की मींगी को खूब महीन पीसे, फिर अन्य द्रव्य मिला और घोटकर 3-3 रत्ती की गोलियां
बना लें। (1 रत्ती = 121.5 mg)
Ref: सिद्ध योग संग्रह
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