अर्धांगवातारि रस (Ardhang Vatari Ras) अर्धांग वात (Hemiplegia) पर प्रयुक्त होता है। साधारणतः नाड़ियों की दुर्बलता
के कारण होनेवाले अर्धांग वात में इसका प्रयोग सराहनीय है। रक्तचाप (Blood Pressure) की वृद्धि के कारण होनेवाले अर्धांगवात
में अर्धांगवातारि रस का प्रयोग लाभप्रद होता है।
अर्धांगवातारि रस
के सेवन से अर्धांगवात में जो थोड़े-थोड़े दिन के पश्चात बार-बार कंप (झटका) आता रहता
है, वह भी इसके सेवन से शमन होजाता है।
मात्रा: 2-2
रत्ती। मधु के साथ। सुबह-शाम। (1 रत्ती = 121.5 mg)
अर्धांगवातारि रस
घटक द्रव्य (Ardhang
Vatari Ras Ingredients): शुद्ध पारा 24
तोला, शुद्ध गंधक 25 तोला, ताम्र भस्म 5 तोला। भावना: नागरवेल के पान का रस और
जंबीरी नींबू का रस।
Ref: रस चण्डांशु
Ardhang
Vatari Ras is useful in hemiplegia.
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