अमृतमंजरी रस (Amrit Manjari Ras) के सेवन से दारुण सन्निपात, मंदाग्नि, अजीर्ण और आमवात रोग (Rheumatism) नष्ट होते है। गरम जल के साथ सेवन करने से सब प्रकार
के रोग शमन होते है। इससे पांच प्रकार की खांसी,
श्वास, सर्वांगपीडा (सारे शरीर में दर्द), जीर्णज्वर (पुराना बुखार) और क्षय (TB) की खांसी दूर होती है।
अमृतमंजरी शीघ्र
ही साम (Active) दोषों को निराम (Dull) करती है। कफ का शोषण करती है और पेट की गेस, अजीर्ण और अग्निमांद्य आदि रोगों को शीघ्र मिटाती है।
इसका सेवन बहु दोष युक्त सन्निपात के अंदर बहुत ही उत्तम सिद्ध होता है। आंत्रिक
सन्निपात (Typhoid) में इसका सेवन गरम पानी के साथ करने से
आध्यमान नहीं होता। ज्वर धीरे धीरे उतरता जाता है और अन्य विकार नहीं बढने पाते।
मात्रा: 1 से 3
गोली तक। अदरक के रस के साथ अथवा उष्ण जल के साथ।
अमृतमंजरी रस घटक
द्रव्य और निर्माण विधि
(Amrit Manjari Ras Ingredients):
शुद्ध हिंगुल, शुद्ध वच्छनाग, पीपल, कालीमिर्च,
सुहागे की खील और जावित्री प्रत्येक द्रव्य समान भाग लेकर भली प्रकार मिश्रण करके
जंबीरी नींबु के रस में खरल करें। तैयार होने पर 1-1 रत्ती की गोलियां बनालें। (1
रत्ती = 121.5 mg)
Ref: रसेंद्र सार संग्रह
Amrit
Manjari Ras is useful in indigestion, rheumatism, cough, asthma, body ache and
long-term fever.
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