अजीर्णकंटक रस (Ajirna Kantak Ras) जठराग्नि वर्धक, विषूचिका (Cholera), अजीर्ण और वातरोग नाशक है। अजीर्णकंटक रस
वातज अग्निमांद्य के लिये उत्तम औषध है। आजकल मानवो के प्रकृति दोष के कारण और
अन्नजल में पोषक तत्वो के अभाव के कारण शरीरों में रुक्षता, शक्तिहीनता और शिथिलता प्रायः अधिकतर मिलती है। वायु
रुक्ष और लघु गुण से प्रकुपित होकर प्रथम पेट के विकार उत्पन्न करता है और रस के
साथ प्रवाहित होकर संपूर्ण अंगों को वातदोष विशिष्ट कर देता है।
अजीर्णकंटक रस (Ajirna Kantak Ras) वायु द्वारा उत्पन्न अग्नि की मंदता को, वायु को संशमन करके और अपने उष्ण, तीक्ष्ण गुणों से पित्त की वृद्धि करके वातज
अग्निमांद्य तथा वात गुल्म (Abdominal Lump) आदि विकारों को दूर करता है। अग्नि
वृद्धि करके दुष्ट मल को बाहर फेकता है और अपक्व अन्न का पाचन करता है। आम दोष
(अपक्व अन्न रस जो शरीर में रोग पैदा करता है उसे आम कहते है) का अग्नि वृद्धि के
साथ साथ पाचन हो जाता है। इस प्रकार यह रस मंदाग्नि में प्रशस्त कार्य करता है।
मात्रा: 3 रत्ती
जल के साथ। (1 रत्ती=121.5 mg)
अजीर्णकंटक रस
घटक द्रव्य और निर्माण विधि
(Ajirna Kantak Ras Ingredients):
शुद्ध पारा, शुद्ध वच्छनाग और शुद्ध गंधक प्रत्येक
1-1 भाग, कालीमिर्च 3 भाग। प्रथम पारे और गंधक की
कज्जली बनावें। पश्चात वच्छनाग का बारीक चूर्ण मिलाकर घोटें। तत्पश्चात कालीमिर्च
का चूर्ण डालकर भलीभाँति मिश्रित करलें। इस मिश्रण को 21 भावना कटेली के रस की दें, और जब गोली बनाने लायक लुगदी हो जाय तब 2-2 रत्ती की
गोलियां बनाकर छाया शुष्क कर के रक्खें।
Ref: भैषज्य रत्नावली
Ajirana
Kantak Ras is useful in indigestion, cholera, abdominal lump and
musculoskeletal disorder.
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