पंचसम चूर्ण शूल
(दर्द), अफरा,
कब्ज, आमवात (Rheumatism)
आदि रोगों में मलशुद्धि करके रोगों को दूर करता है। इस चूर्ण के सेवन से
कोष्ठशुद्धि होकर अग्नि प्रदीप्त होती है। कितने ही व्यक्ति को बार-बार मलावरोध
(कब्ज) हो जाता है, और शारीरिक उत्ताप कुछ अंश में बढ़ जाता
है। उनके लिये यह चूर्ण हितावह है।
मात्रा: 3 से 6 ग्राम
तक ताजे पानी के साथ लें।
पंचसम चूर्ण
बनाने की विधि (Panchasam Churna Ingredients): सौंठ,
छोटी हरड़, पीपल,
निसोत और कालानमक, इन सबको समभाग लेकर बारीक चूर्ण
करें।
Ref: ग. नि.
(गदनिग्रह) यो. र. (योग रत्नाकर), शा. ध. (शार्गंधर),
भारत भैषज्य रत्नाकर – 3887
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